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गुमला : अंधविश्वासी महिला दो माह के बेटे को गोद में लेकर बारिश में रातभर बैठी रही पीपल पेड़ के नीचे

दुर्जय पासवान, गुमला पालकोट प्रखंड के बघिमा अंबाडाड़ गांव की अंधविश्वासी महिला ललिता देवी यह कहकर अपने घर से भाग गयी कि उसके पीछे कोई भूत पड़ा हुआ है, जो कि उसका पीछा नहीं छोड़ रहा है. इसलिए वह रात एक बजे घर से भागकर डुमरडीह गांव पहुंच गयी और पीपल पेड़ के नीचे अपने […]

दुर्जय पासवान, गुमला

पालकोट प्रखंड के बघिमा अंबाडाड़ गांव की अंधविश्वासी महिला ललिता देवी यह कहकर अपने घर से भाग गयी कि उसके पीछे कोई भूत पड़ा हुआ है, जो कि उसका पीछा नहीं छोड़ रहा है. इसलिए वह रात एक बजे घर से भागकर डुमरडीह गांव पहुंच गयी और पीपल पेड़ के नीचे अपने दो माह के बेटे को लेकर बारिश में बैठी रही. ललिता ने कहा कि उसे डर लग रहा था कि उसे कोई कुछ कर देगा. इसलिए वह हर एक व्यक्ति को गलत समझ रही थी.

हालांकि बाद में कुछ लोगों की मदद से अस्पताल में इलाज व सीडब्ल्यूसी की पहल के बाद वह अपने परिवार के साथ घर वापस गयी. जानकारी के अनुसार सोमवार की रात करीब एक बजे ललिता अपने दो माह के बेटे मुस्कान को गोद में लेकर घर से भाग निकली थी. वह बच्चे को गोद में लिये 13 किमी पैदल चलकर डुमरडीह गांव पहुंची. जहां वह रातभर दो माह के बेटे को गोद में लेकर पीपल पेड़ के नीच बारिश में बैठी रही.

बारिश से मां व बच्चा दोनों भींग गये थे और ठंड से कांप रहे थे. मंगलवार की सुबह छह बजे मां व बच्चे को बारिश में भींगते देख स्थानीय लोगों ने पहले तो पीपल पेड़ के नीचे से दोनों को हटाया. फिर बारिश से भींगे बच्चे के कपड़े को स्थानीय लोगों ने बदला. खुद लोगों ने बच्चे को नया कपड़ा खरीदकर दिया.

इसके बाद दोनों को गुमला सदर अस्पतान पहुंचाया. जहां इलाज के बाद दोनों को सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया गया. पूछताछ के बाद सीडब्ल्यूसी ने ललिता व बच्चे को उसके पति अजय लोहरा व परिवार के अन्य सदस्यों को बुलाकर सौंप दिया.

इस प्रकार अंधविश्वास में फंसी महिला

ललिता के दो माह के बेटे मुस्कान के गर्दन की हड्डी खिसकने से वह रो रहा था. दूध भी नहीं पी रहा था. ललिता भी कुछ अजीब सी हरकत कर रही थी. यह देखकर उसका ससुर एता उरांव उसे गांव के भगत के पास इलाज कराने ले गया. जहां बच्चे के गर्दन की हड्डी को दिखाया गया. फिर वे लोग घर वापस लौट गये. फिर अचानक देर रात को ललित अपने दो माह के बेटे को लेकर घर से निकल गयी.

ललिता ने कहा कि उसे लगा कि कोई उसका पीछा कर रहा है. इसलिए वह भागते हुए डुमरडीह गांव पहुंच गयी. ससुर एता उरांव ने बताया कि पहले कभी भी ललिता का दिमागी हालात खराब नहीं हुआ था. लेकिन सोमवार की रात को वह घर से बच्चे को लेकर भाग गयी. जबकि उसके अन्य दो बेटे हैं जो घर पर ही थे. सुबह को पता चला कि वह घर से निकलने के बाद वापस नहीं लौटी.

लोगों ने ललिता व उसके बच्चे की मदद की

डुमरडीह गांव के युवक कमल कुमार साहू व अविनाश कुमार ने बताया कि महिला को अपने बच्चे के साथ बारिश में भींगते देखकर एंबुलेंस बुलाकर अस्पताल लाया गया. चूंकि महिला का दिमागी हालात कुछ ठीक नहीं था. इसलिए वह बच्चे को कपड़ा बदलने नहीं दे रही थी. बड़ी मुश्किल से कपड़ा बदला गया.

वहीं अस्पताल में पहुंचने के बाद सहिया ललिता देवी व सैयदा ने ललिता के भींगे साड़ी को बदला. इन दोनों के प्रयास से बच्चे का भी इलाज शिशु रोग विशेषज्ञ से कराया गया. लेकिन गर्दन की हडडी खिसकने के कारण बच्चा दर्द से रो रहा था. अस्पताल अपने काम से पहुंची टोटो की कुंती देवी ने बच्चे के गले की हड्डी को ठीक किया.

अंधविश्वास में फंस गयी थी महिला : चेयरमैन

दिमागी हालात ठीक नहीं रहने के कारण शुरू में महिला ने अपने ससुराल पर ही मारपीट करने व घर से निकालने का आरोप लगाया. लेकिन जब इसकी जानकारी सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन शंभु सिंह, सदस्य कृपा खेस, सुषमा देवी व पीएलभी सोनू देवी को हुई तो वे लोग अस्पताल पहुंचे. मां व बच्चे को सीडब्ल्यूसी कार्यालय लाकर पूछताछ की गयी. पूछताछ में ललिता ने बताया कि उसके सिर के बाल पर कोई कुछ बांध दिया था. वह डर से घर से भाग गयी थी. इधर, प्रभात खबर की पहल पर ललिता के घर को बघिमा अंबाडाड़ में खोज निकाला गया और उसके पति को ललिता व बच्चे के गुमला में होने की सूचना दी गयी. तब अशोक गुमला पहुंचा. तो पता चला कि अंधविश्वास के कारण महिला घर से निकली थी.

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