गुमला : बिशुनपुर प्रखंड के कुजाम व अमतीपानी माइंस में पिछले छह माह से ट्रांसपोर्टिंग का काम बंद है. इसके कारण करीब 1200 ट्रकों के पहिये थम गये हैं. 700 ऑनरों ने अपने वाहनों को घर के सामने खड़ा कर दिया है. इससे करीब 35 हजार लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है. चालक, खलासी, मजदूरों के अलावा दुकानदार, पेट्रोल पंप सहित कई लोगों का व्यवसाय प्रभावित हो रहा है. सबसे बुरा हाल ट्रक ओनर, चालक व खलासी को झेलनी पड़ रही है.
क्योंकि छह महीने से ट्रकों के पहिए थमने से इनकी आमदनी बंद हो गयी है. कई लोग तो उधारी में राशन लेकर घर का चूल्हा जला रहे हैं. कई वाहनों का डॉक्यूमेंट भी ट्रक को खड़ा करने से फेल हो रहा है. इससे ट्रक ओनरों की परेशानी ज्यादा बढ़ रही है. बताया जा रहा है कि मुरी स्थित केमिकल तालाब धंसने के कारण कुजाम व अमतीपानी माइंस से ट्रांसपोर्टिंग बंद कर दी गयी है. क्योंकि कुजाम व अमतीपानी से ले जाकर मुरी में बॉक्साइड रखने के लिए जगह नहीं है.
जब तक मुरी स्थित केमिकल तालाब ठीक नहीं होता है. बॉक्साइड को वहां डंप कराना मुश्किल होगा. ट्रक ओनर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ओम सिंह ने कहा है कि कुजाम व अमतीपानी का माइंस बंद होने के कारण हजारों-हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं. कंपनी को चाहिए कि अविलंब परिवहन कार्य वैकल्पिक व्यवस्था के तहत चालू कराये या तो कुजाम व अमतीपानी के बॉक्साइड को किसी दूसरे कारखाने में भेज कर डंप कराया जाये. इससे ट्रकों का परिचालन सुचारू हो सकेगा. साथ ही इससे प्रभावित होने वालों को रोजी-रोटी मिल जायेगी.
काम बंद होने से लोग कर रहे पलायन : लोहरदगा-गुमला ट्रक ओनर एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष कवलजीत सिंह के नेतृत्व में बुधवार को राज्यसभा सांसद समीर उरांव से बिशुनपुर में उनके आवास पर मुलाकात की. मांग पत्र सौंपते हुए उत्पन्न समस्या की जानकारी दी है. अध्यक्ष ने बताया कि अमतीपानी, कुजाम सहित अन्य मांइसों में लगभग 1200 ट्रक पिछले छह माह से खड़े हैं. इसके कारण प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 35 हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं. कई तो पलायन कर चुके हैं.
खड़ी गाड़ियों के पेपर जैसे इंश्योरेंस, फिटनेस, टैक्स, परमिट आदि पर भी खर्च करना पड़ रहा है. ट्रक ओनर, चालक, सह चालक, लोडर, अनलोडर, पार्टस दुकान, गैरेज आदि के व्यवसायी भूखमरी के कगार पर हैं. क्योकि बाक्साईड यहां की लाइफ लाइन है. इसके अलावा मुरी के भी हजारों लोग प्रभावित हैं.
हिंडाल्को कंपनी वैकल्पिक व्यवस्था करे. जब तक मुरी फैक्टरी खुल नहीं जाती है. तब तक बाक्साइड का भंडारण कंपनी लोहरदगा में करे या बाक्साइड को अन्य फैक्टरी में भेजा जाये. ये भी निवेदन किया गया है कि चूंकि मुरी फैक्टरी बंद होने के कारण हजारों-हजार लोग प्रभावित हैं. इसलिए फैक्टरी खुलवाने को लेकर भी उनकी ओर से पहल करते हुए सरकार एवं मुख्यमंत्री तक पहल करने की अपील एसोसिएशन ने की.