मौके पर जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत प्रकाश ने कहा कि बालक श्रम प्रतिषेध अधिनियम 1986 की जानकारी देते हुए कहा कि 14 वर्ष से कम आयु के बालकों से काम कराना कानूनन जुर्म है. वहीं लैंगिक अपराध की चर्चा करते हुए कहा कि लैंगिक अपराध से बालकों को संरक्षण के लिए अधिनियम 2012 बनाया गया है. जो बालकों को लैंगिक उत्पीड़न, लैंगिक हमला, अश्लील साहित्य आदि यौन उत्पीड़नों से सुरक्षा प्रदान करता है. इसी प्रकार घरेलु हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिनियम 2003 बनाया गया है.
इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं को घरेलु हिंसा से बचाना और उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है. सिविल जज बीके पांडेय ने भारतीय संविधान में उल्लेखित मूल अधिकारों एवं मौलिक कर्त्तव्यों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि भारतीय संविधान में समता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार एवं अपने धर्म व संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखने का अधिकार है.
कार्यक्रम को जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव विनोद कुमार व अनुमंडल न्यायिक पदाधिकारी मनोज कुमार राम ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता बुंदेश्वर गोप ने किया. मौके पर स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत शर्मा, व्यवहार न्यायालय के सहायक जियाउल हक, नवल किशोर, मनीष, पीटर, शिवकुमार केशरी, राजेंद्र यादव, जयप्रकाश मुंडा, संजय प्रसाद केशरी, महेश कुमार लाल, जितेंद्र कुमार, अनुपम टोप्पो, संजय साहू सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे.