वक्ताओं ने कहा कि डीपीएम द्वारा वरीय अधिकारियों से शिकायत करने के बाद पंचायत सेवकों द्वारा भी लिखित शिकायत की गयी थी, लेकिन इसमें एक पक्षीय फैसला कर डीपीएम के कागज पर सुनवाई हुई. पंचायत सेवकों ने जो आवेदन दिया, उसपर अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है. सचिव भूषण कुमार ने कहा कि प्रशासन की यह कार्रवाई एकतरफा व भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए है. कर्मचारियों को अगर इस प्रकार दंडित व प्रताड़ित किया जायेगा, तो निश्चित रूप से भ्रष्ट लोगों का मनोबल बढ़ेगा. बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि 22 जुलाई को दिन के एक बजे महासंघ के कार्यालय में बैठक होगी, जिसमें प्रशासन से मांग की जायेगी कि पंचायत सेवकों का निलंबन वापस लिया जाये.
अगर निलंबन वापस नहीं होता है, तो आंदोलन किया जायेगा. बैठक में पुरुषोत्तम साहू, जीतवाहन उरांव, रामनरेश सिंह, विजय कुमार पाठक, फुलझरी भगत, मुरारी प्रसाद सिंह, आशीष भगत, मोहम्मद शहाबुद्दीन, बालकी उरांव, रामाधार राम, रघुनंदन वैद्य, चितरंजन प्रसाद, शिवनाथ पासवान, मनोरंजन कुमार, पद्धमिनी कुमारी, किरण कुमारी, गिरीश प्रसाद, गणोश प्रसाद, परशुराम पासवान व असीत कुमार सहित कई लोग थे.