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Giridih News: हॉल्ट में प्लेटफार्म नहीं, नाला पर पुल नहीं, कागज पर है जल नल योजना

Giridih News: छह राजस्व गांव और करीब 10 हजार की आबादी वाली फुलजोरी पंचायत के ग्रामीण हॉल्ट में प्लेटफार्म, सड़क, पुल-पुलिया, शिक्षा और पेयजल की समस्या से जूझ रहे हैं. जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर फुलजोरी में आयोजित ‘प्रभात खबर आपके द्वार’ कार्यक्रम में ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं को रखा.

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ग्रामीण मो जुनाब, मुख्तार आलम, मो फिरोज, मो सद्दाम, मो शहाबुद्दीन, मो यूसुफ, मो जमरुद्दीन, मो राजा, मो पप्पू, मो आबिद आदि ने बताया कि फुलजोरी में कुल छह राजस्व गांव क्रमशः फुलजोरी, पहरीडीह, कारोडीह, मोचियाडीह, प्रतापपुर व गोविंदपुर हैं. यहां की कुल आबादी करीब 10 हजार है. इसके बावजूद पंचायत में पेयजल की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. वहीं शिक्षा के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं है, पुल-पुलिया के अभाव और हाल्ट स्टेशन पर बदहाल प्लेटफार्म के चलते लोगों को परेशानी होती है.

पीएम श्री प्लस टू उवि में शिक्षक व चहारदीवारी की है कमी

ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत में पीएम श्री प्लस टू उवि प्रतापपुर है, लेकिन यहां चहारदीवारी की कमी है. यहां अंग्रेजी और साइंस शिक्षक नहीं होने से बच्चों को काफी परेशानी होती है.

हॉल्ट बना लेकिन प्लेटफार्म व शेड का है अभाव

गिरिडीह-मधुपुर रेलखंड पर फुलजोरी में ही केबी सहाय हॉल्ट स्थापित है. तत्कालीन बिहार सरकार में स्थापित इस हॉल्ट में आज भी प्लेटफार्म, शेड, पानी, बिजली व बैठने के लिए कुर्सी व बेंच का घोर अभाव है. इस कारण यात्रियों को काफी परेशानी होती है.

फेल है जल नल योजना, नहीं हो रही जलापूर्ति

फुलजोरी पंचायत में एक वर्ष पहले जल नल योजना की शुरुआत हुई है, लेकिन आज तक एक भी घर में नल से जल की व्यवस्था नहीं हुई है. कहीं बोरिंग के बाद काम बंद है तो कहीं आधा अधूरा स्ट्रक्चर लगाकर छोड़ दिया गया है.

जैसे-तैसे कर बनाया शौचालय, दो साल मे ही हुआ बदहाल

करीब आठ वर्ष पूर्व केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर शौचालय का निर्माण किया गया था और फुलजोरी को खुले में शौच मुक्त पंचायत घोषित की गयी थी, लेकिन जैसे-तैसे निर्मित शौचालय एक-दो साल में ही बदहाल हो गया. इसके बाद से ग्रामीण खुले में शौच के लिए जाने पर मजबूर हैं. बताया कि पंचायत में सामुदायिक शौचालय तो बना है, लेकिन उसे स्कूल को हैंडओवर कर दिया गया है.

बारिश के दिनों में कच्ची सड़क पर पैदल चलना भी हो जाता है मुश्किल

ग्रामीणों ने बताया कि दो जिले की सीमा के चक्कर में बुधूडीह-बलकुडीह वाया गगनपुर सड़क नहीं बन पायी है. और लोग कच्ची सड़क से आवाजाही को मजबूर हैं. बरसात के दिनों में कच्ची सड़क पर वाहन तो क्या पैदल चलना मुश्किल हो जाता है.

पुल के अभाव में बरसात में पंचायत से कट जाता है जोरासीमर गांव

ग्रामीणों ने बताया कि बुधूडीह-जोरा सीमर के बीच नाला पर पुल नहीं बनने से बरसात में पंचायत दो भाग में बंट जाता है. जोरासीमर नदी पर पुल के अभाव के कारण स्कूली बच्चों से लेकर आमजन को बरसात में पांच किलोमीटर दूरी तय स्कूल या पंचायत मुख्यालय आना पड़ता है, जबकि पंचायत के सभी गांवों का मुख्य बाजार भी बुधूडीह ही है.

उच्च शिक्षा की नहीं है व्यवस्था

पंचायत से लगभग 10 किलोमीटर दूर अहिल्यापुर व गांडेय में उच्च विद्यालय हैं, इससे बच्चों को काफी परेशानी होती है. वैसे तो पंचायत में वित्त रहित उच्च विद्यालय है, लेकिन सरकारी व्यवस्था की कमी है. ग्रामीणों ने बताया कि प्राइमरी व मध्य विद्यालय की भी स्थिति जर्जर है. उमवि पुतरिया की ही बात करें, तो एक भवन की छत जर्जर हो गयी है, दुर्घटना के डर से कमरे को बंद कर दिया गया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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