– सुमरजीतसिंह –
– गैराज, होटलों में काम करने और ढीबरा प्लास्टिक चुनने में व्यस्त हैं बच्चे
– शिक्षा के अधिकार कानून पर लगा प्रश्न चिन्ह
गिरिडीह : जिले में आज भी सैकड़ों बच्चे होटलों तथा गैराज में काम करते या कागज, प्लास्टिक, ढीबरा चुनते नजर आ जाते हैं. होटल एवं गैराज मालिकों द्वारा श्रम अधिनियम कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ायी जा रही है. ऐसे बच्चे प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं.
सरकार शिक्षा के प्रति जागृति के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षो से कई कार्यक्रम चला रही है. बावजूद सुदूर ग्रामीण इलाके के बच्चे तथा इनके अभिभावकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने में सरकार की सभी मिशनरी फेल है. एक अप्रैल 2010 से लागू शिक्षा का अधिकार कानून जिले में फिसड्डी साबित हो रहा है.
विदित हो कि जिले में सर्व शिक्षा अभियान के तहत एनजीओ द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रचार प्रसार का कार्य कई वर्षो से कराया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों व शहर के स्लम एरिया में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए स्कूलों में मध्याह्न् भोजन की भी व्यवस्था की गयी है, लेकिन इन क्षेत्रों के सैकड़ों गरीब–गुरबों के बच्चे स्कूल न जाकर होटलों एवं गैरेजों में काम करते हैं या सड़क पर कागज और ढिबरा चुनने में लगे हैं.
आज भी गिरिडीह जिले के अमूमन सभी प्रखंडों के होटलों तथा गैरेजों में छह से 14 वर्ष के बच्चे काम करते नजर आते हैं. प्रतिष्ठानों एवं गैरेजों में काम करने वाले बच्चों को इस तरह पढ़ा कर दक्ष कर दिया गया है कि पूछने पर वे अपनी उम्र 14 वर्ष से ऊपर बताते हैं. इससे यह प्रतीत होता है कि जिले के सुदूर इलाकों में शिक्षा के प्रति जागरूकता ज्यादा कागज पर ही फैलायी गयी है.