गत वर्ष देश भर के स्वच्छ सर्वेक्षण में 81वें तथा झारखंड में तीसरे स्थान पर रहनेवाले गिरिडीह के लिए इस साल होनेवाले सर्वे में इस स्थिति को सुधारना एक चैलेंज है. मुश्किल यह है कि चुनाव को लेकर वातावरण निर्माण के लिए विकास कार्यों को रफ्तार देना भी जन प्रतिनिधियों की प्राथमिकता होगी. इस दोहरे दबाव में स्वच्छ सर्वेक्षण में रैंकिंग में सुधार गिरिडीह नप के लिए एक बड़ा चैलेंज है.
गिरिडीह : शहरी क्षेत्र के विकास के साथ-साथ स्वच्छ सर्वेक्षण में उम्दा प्रदर्शन नगर पर्षद के लिए चैलेंज बन गया है. शहरी क्षेत्र की जनता आये दिन पेयजल, प्रकाश व्यवस्था व जर्जर सड़क की समस्या से परेशान रहती है.
ऐसे में जन समस्याओं को दूर करने के अलावे स्वच्छ भारत मिशन अभियान में बेहतर स्थान हासिल करना अपेक्षाकृत जटिल हो गया है. अहम तथ्य यह है कि इस वर्ष के अंतिम महीने में चुनावी शंखनाद होने की संभावना है. ऐसे में जनता के दिलों में उतरने के लिए विकास कार्यों को गति प्रदान करना भी जनप्रतिनिधियों के लिए अहम होगा.
पानी-बिजली संकट साथ-साथ : जानकारी के मुताबिक आये दिन नगर पर्षद के विभिन्न वार्डों के लोगों को कभी बिजली संकट तो कभी जल संकट से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. पिछले दिनों कई वार्डों में तो चार-चार दिनों तक पेयजल की किल्लत रही. यह हाल बरसात के दिनों का है.
इसके लिए संवेदक की कार्यशैली पर भी सवाल उठाया जाता रहा है. हालांकि नप ने हमेशा बिजली विभाग पर इसका ठीकरा फोड़ा है. कई वार्डों में प्रकाश व्यवस्था की कमी भी एक समस्या है. पिछले दिनों स्टेशन रोड से कोलडीहा के बीच लगी स्ट्रीट लाइट्स कई जगहों पर खराब पड़ी है. शहरी क्षेत्र के कई इलाकों की सड़क जर्जर है.
कचरा कलेक्शन का विस्तार नहीं हुआ : इसके अलावे आकांक्षा कंपनी का डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन का विस्तार सभी वार्डों में नहीं हो पाया है. अभी सिर्फ पांच वार्डों में ही यह अभियान चल रहा है. मुख्य मार्गों में गंदगी व नालियों की सफाई तो हो रही है, पर मुहल्लों की नालियां गंदगी से अटी पड़ी है. इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है.