संदीप कुमार
केतार (गढ़वा) : दो नवंबर 2008 को केतार प्रखंड अस्तित्व में आया तो यहां के लोगों को लगा कि अब उनके दिन बहुरेंगे,लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी हालात में कोई परिवर्तन नहीं हुआ. शिक्षा के क्षेत्र में सरकार व शिक्षा विभाग के दावे का पोल यहां की जमीनी हकीकत देखकर लगाया जा सकता है.
प्रखंड में मात्र दो मवि को स्तोरन्नत का दर्जा देकर प्रखंड के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा देने की पहल कारगर नहीं है. प्रखंड में प्राथमिक एवं मवि का हाल भी खस्ता है.
मैट्रिक पास करने के बाद अब भी पूर्व की तरह यहां के छात्रों को दूसरे प्रखंड,जिला मुख्यालय अथवा अन्य पठन-पाठन के लिए जाना पड़ता है.
512 छात्रों की ही सीट है : वर्ष 2014 में लगभग 1500 छात्र-छात्राएं मैट्रिक की परीक्षा देंगे. इनमें 900 सिर्फ छात्र हैं.जबकि प्रखंड में दो प्लस टू उवि परसोडीह एवं छाताकुंड में 512 छात्रों की ही सीट निर्धारित है. ऐसे में बाकी बचे छात्र-छात्राएं बाहर का ही रूख करेंगे. सबसे बड़ी समस्या छात्राओं के साथ है, उन्हें आगे की पढ़ाई करनी हो तो उन्हें बाहर लाना पड़ेगा,अन्यथा पढ़ाई बंद करनी पड़ेगी.