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अपहरण के 15 दिन बाद लौटे हरिनंदन

10 जून को गायब होने के बाद उनके पुत्र ने मझिआंव थाने में दर्ज कराया था अपहरण का मामला लौटने के बाद मझिआंव थाना में बताया अपहरण का घटनाक्रम झारखंड विकास मोरचा के जिला सदस्यता प्रभारी हैं हरिनंदन एग्रीमेंट पर दस्तखत करवाने के लिए किया गया था अपहरण गढ़वा : झारखंड विकास मोरचा के जिला […]

10 जून को गायब होने के बाद उनके पुत्र ने मझिआंव थाने में दर्ज कराया था अपहरण का मामला
लौटने के बाद मझिआंव थाना में बताया अपहरण का घटनाक्रम
झारखंड विकास मोरचा के जिला सदस्यता प्रभारी हैं हरिनंदन
एग्रीमेंट पर दस्तखत करवाने के लिए किया गया था अपहरण
गढ़वा : झारखंड विकास मोरचा के जिला सदस्यता प्रभारी हरिनंदन गिरि कथित अपहरण के 15 दिन बाद वापस लौट गये हैं. वे रविवार की दोपहर मझिआंव थाना पहुंचे और अपने अपहरण की कहानी बतायी़ उल्लेखनीय है कि 10 जून को झाविमो के दो दिवसीय आर्थिक नाकेबंदी के एक दिन पूर्व श्री गिरि के गायब होने की बात सामने आयी थी़ इसके दो दिन बाद उनके पुत्र जनमेजय गिरि ने मझिआंव थाना में अज्ञात लोगों के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कराया था़
अपहरण के 15 दिन बाद रविवार को मझिआंव थाना पहुंचे हरिनंदन गिरि न बताया क उनका अज्ञात लोगों ने अपहरण कर लिया था़ वे 24 जून की रात्रि तीन बजे किसी तरह सोन नदी पार करते समय फरार होने में कामयाब हुए हैं. उसके बाद वे अपने पैतृक आवास पलामू के हुसैनबाद के गुड़बंधा गांव पहुंचे थे, वहां से 25 जून को हुसैनाबाद थाना पहुंचे और वहां स्वयं को उपस्थित करने के बाद थानेदार द्वारा मझिआंव थाना भेजे जाने पर पहुंचे हैं.
एग्रीमेंट पर साइन कराने के लिए हुआ था अपहरण
उन्होंने बताया कि 10 जून को वे जेवीएम की आर्थिक नाकेबंदी को सफल बनाने के लिए कार्यकर्ताओं को जुटाने के लिए मझिआंव व कांडी जा रहे थे़ वे मझिआंव पहुंचकर विष्णुदेव तिवारी नामक कार्यकर्ता से मिले और वहां से चाय पीकर कांडी के जयनगरा गांव स्थित संजय मेहता से मिलने के लिए टैक्सी पकड़ने शिव मंदिर के पास दोपहर एक बजे पहुंचे़
इसी बीच एक सफेद रंग की बोलेरो गाड़ी जो उधर ही जा रही थी, उसको इशारा कर उन्होंने रोका और कहा कि उन्हें जयनगरा जाना है, क्या वे ले चलेंगे़ उन लोगों ने बोलेरो पर उन्हें बैठा लिया़ कुछ दूर आगे जाने पर चंद्रवंशी पेट्रोल पंप के समीप उन्हें कुछ संदेह हुआ और उन्होंने जब बोलेरो में बैठे तीन लोगों से पूछताछ की, तो उनके तरफ से दो पिस्तौल सटा कर उनका माथा नीचे दबा दिया. इसके बाद हाथ, आंख व मुंह बांध दिया गया़ एक घंटा चलने के बाद बोलेरो एक पक्के मकान के समीप रूकी़ और उन्हें कमरे में बंद कर बुरी तरह पीटा गया़ अपहरण करनेवाले लोग वहां एक एग्रीमेंट पेपर लाकर साइन करने का दबाव बना रहे थे़, लेकिन जब उन्हें यह पता चला कि गढ़वा स्थित जमीन उनके नहीं उनकी पत्नी के नाम से है, तो वे इसके बाद उन्हें जान से मारने की योजना बनाने लगे़
उक्त पक्के के मकान में उन्हें 15 जून तक रखा गया़ इसके बाद वहां से निकाल कर एक घंट आंख पर पट्टी बांधकर चलाया गया़ इसके बाद उन्हें 20 जून तक एक कच्चे मकान में रखा गया और 20 जून को तीसरे स्थान पर ले जाया गया़ वहां उन्हें 24 जून तक बंधक बनाकर रखा गया़ 24 जून की रात्रि में जब उन्हें सोन नदी गर्दन भर पानी में पैदल पार कराया जा रहा था, इसी दौरान कुछ दूरी से टॉर्च की रोशनी देख कर उनके अपहरण में शामिल चारों लोग एक झाड़ी में छुप गये और आपस में बात करने लगे कि नदी पार करने के बाद इसे मार देंगे़
इस बीच किसी तरह अपना हाथ खोलकर वे फरार हो गये तथा किसी तरह अपने गांव पहुंचे़ मझिआंव थाना में उनके पहुंचने की सूचना मिलने पर उनकी पत्नी देवंती व बेटा जनमेजय गिरि भी मौजूद थे़ मझिआंव पुलिस उनका बयान दर्ज कर मामले की सच्चाई पता लगाने में जुट गयी है़

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