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अति अनुराग ही वैराग्य है : योगेश्वरी

अति अनुराग ही वैराग्य है : योगेश्वरीनगरऊंटारी. श्री रामकथा आयोजन समिति के तत्वावधान में प्लस टू उच्च विद्यालय के परिसर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर चल रहे मानस कथा के सातवें दिन झांसी से आयीं कथा वाचिका मानस माधुरी योगेश्वरी ने कहा क अति अनुराग ही वैराग्य है़ जब व्यक्ति बैरागी हो जाता है […]

अति अनुराग ही वैराग्य है : योगेश्वरीनगरऊंटारी. श्री रामकथा आयोजन समिति के तत्वावधान में प्लस टू उच्च विद्यालय के परिसर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर चल रहे मानस कथा के सातवें दिन झांसी से आयीं कथा वाचिका मानस माधुरी योगेश्वरी ने कहा क अति अनुराग ही वैराग्य है़ जब व्यक्ति बैरागी हो जाता है तो उसे न तो लक्ष्मी की जरूरत होती है और न लक्ष्मी पति की़ उसे तो अपने ईश्वर में ही सब कुछ नजर आता है़ उन्होंने कहा कि इस संसार में तीन तरह के लोग हैं. अनुरागी,बैरागी व बड़भागी़ अनुरागी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान स्वयं दर्शन देने जाते हैं. जिनके पास भगवान भक्त के दर्शन करने जाते हैं वे भक्त बड़भागी होते हैं. रामचरित मानस में बड़भागी व अनुरागी भक्त हनुमान राजा दशरथ उनकी माताएं अयोध्या की समस्त प्रजा सुग्रीव व बानरदल के साथ महाराज विभिषण भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि बैरागी तो अपनी तपस्या के बल पर परम पद को प्राप्त कर लेते हैं. उन्होंने कहा कि पति-पत्नी, राजा-प्रजा, मालिक-नौकर तथा भक्त व भगवान में यदि अनुराग नहीं हो तो परिवार व समाज का विखंडन शुरू हो जाता है़ मानस कथा में शिवशंकर प्रसाद खुशदिल सिंह, भरत प्रसाद निराला, गदाधर पांडेय, समिति के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद, जितेंद्र पांडेय, विद्या सागर, प्रताप जायसवाल, अशोक प्रसाद, रामानंद पांडेय, कामता प्रसाद, मंदीप प्रसाद, सिद्धेश्वर लाल अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में आसपास की महिला व पुुरुष व श्रद्धालु उपस्थित थे़

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