– विनोद पाठक –
बाल विवाह का खमियाजा भुगतना पड़ रहा है लड़कियों को
गढ़वा : सगमा प्रखंड के सोनडीहा व आसपास के गांवों में बाल विवाह का खमियाजा बेटियों को भुगतना पड़ रहा है. कम उम्र में शादी हो जाने के कारण बच्च अस्वस्थ पैदा हो रहा है या फिर खराब हो जा रहा है.
सोनडीहा निवासी अनिता (काल्पनिक नाम) ने अपने बेटे पंकज (काल्पनिक नाम) की शादी 15 साल में तथा बेटी सुष्मा कुमारी (काल्पनिक नाम) की शादी 14 साल में कर दी. अनिता के मुताबिक शादी के तुरंत बाद उसकी पतोहू रेणु (काल्पनिक नाम) का गर्भ ठहर गया.
जुड़वां बच्चा था. वर्ष 2012 में उसे डिलेवरी के लिए गढ़वा अस्पताल ले गयी. मगर उसके दोनों बच्चे खराब हो गये. 2013 में रेफरल अस्पताल नगरऊंटारी में रेणु का दूसरी बार डिलेवरी हुआ़ इस बार बच्च कुपोषित है.
अनिता ने बताया कि उसने अपनी बेटी सुष्मा की शादी वर्ष 2010 में डंडई प्रखंड के करके में की थी. डेढ़ साल बाद उसे बच्च हुआ. वह भी कुपोषित है. अनिता ने बताया कि सिर से पति का साया उठ जाने के कारण वह अपने बच्चों की शादी कर मुक्त होना चाहती थी.
इसी तरह मुन्नी भुइयां (काल्पनिक नाम) की पुत्री का विवाह वर्ष 2008 में 16 साल में हुआ था. 2009 में उसने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन बच्च खराब हो गया.
2011 में पुन: उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जो कुपोषित है. मुन्नी के लड़के शादी भी कम उम्र में हो गयी. शादी के समय उसकी पतोहू की उम्र सिर्फ 16 वर्ष थी. शदी के कुछ दिन बाद उसने एक बच्ची को जन्म दिया. मगर बच्ची पूरी तरत कुपोषित है.