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सूबे में काजू की खेती की असीम संभावनाएं : डॉ एम गंगाधर

गालूडीह : भारतीय काजू अनुसंधान केंद्र पुटूर (कर्नाटक) के निदेशक डॉ एम गंगाधर नायक और इंडियन काउंसिल ऑफ कृषि अनुसंधान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ मोहना शनिवार को दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र पहुंचे. यहां करीब 60 एकड़ में लगे काजू की खेती का निरीक्षण किया. डॉ नायक और डॉ मोहना आठ अ़ौर नौ अप्रैल को […]

गालूडीह : भारतीय काजू अनुसंधान केंद्र पुटूर (कर्नाटक) के निदेशक डॉ एम गंगाधर नायक और इंडियन काउंसिल ऑफ कृषि अनुसंधान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ मोहना शनिवार को दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र पहुंचे. यहां करीब 60 एकड़ में लगे काजू की खेती का निरीक्षण किया. डॉ नायक और डॉ मोहना आठ अ़ौर नौ अप्रैल को दारीसाई, गिधिबील, छोटाकुर्शी, चाकुलिया आदि जगहों पर काजू की खेती की जायजा लेंगे. दोनों गालूडीह टूरिस्ट रिसोर्ट में ठहरे हैं.

पहले दिन दारीसाई और गिधिबील का निरीक्षण किया. निरीक्षण के बाद डॉ गंगाधर नायक ने प्रभात खबर से कहा कि झारखंड में काजू की खेती की असीम संभावना है. यहां की मिट्टी बेहतर है. यहां काजू के पौधों में कीड़े नहीं लगते हैं. किसानों को इसके लिए जागरूक करना जरूरी है. दारीसाई में जल्द काजू की खेती को लेकर किसान मेला लगाया जायेगा. दोनों बंगाल के झाड़ग्राम से दारीसाई पहुंचे हैं. उनके साथ जेडआरएस के सह निदेशक डॉ जिबरा टोप्पो, कृषि वैज्ञानिक डॉ पवन झा आदि थे.

छोटे स्तर का प्रोसेसिंग प्लांट बैठाने से किसान मुनाफा कमायेंगे : डॉ नायक ने कहा कि किसान काजू उत्पादन करते हैं. वहीं उद्योगपति प्रोसेसिंग प्लांट बैठा कर मुनाफा कमाते हैं. छोटे स्तर का प्रोसेसिंग प्लांट यूनिट दो से तीन लाख में आयेगा. इसे किसान बैठायेंगे, तो मुनाफा उन्हें मिलेगा. इसको सरकार बढ़ावा दे रही है. एक लाख हेक्टेयर में काजू की खेती करने से दो लाख टन काजू उत्पादन होता है. इस क्षेत्र में काजू की खेती बेहतर हुई है. प्रियंका, भास्करा समेत काजू के कई किस्म है, जिसे अपनाने से और बढ़ावा मिलेगा.
भारतीय काजू अनुसंधान केंद्र के निदेशक ने गालूडीह में देखी काजू की खेती
झारखंड की मिट्टी काजू की खेती के लिए उपयुक्त, किसानों को करना होगा जागरूक
दारीसाई में जल्द लगेगा काजू उत्पादन किसान मेला, दारीसाई,गिधिबिल में काजू जंगल देखा, सूबे में एक लाख हेक्टेयर में काजू की खेती करने से दो लाख टन काजू उत्पादन होगा
देश में 20 लाख टन काजू की खपत, उत्पादन मात्र सात लाख टन
डॉ नायक ने कहा कि देश में काजू की खपत 15 से 20 लाख टन प्रतिवर्ष है, जबकि उत्पादन मात्र 6-7 लाख टन है. अफ्रीका से काजू मंगाया जाता है. काजू की अंतरराष्ट्रीय मांग है. झारखंड, बंगाल और ओड़िशा में काजू उत्पादन के लिए बेहतर मिट्टी और जलवायु है. इसकी खेती के लिए पानी की ज्यादा जरूरत नहीं है. काजू उत्पादन होने से प्रोसेसिंग प्लांट लगेगा. इससे लोगों को रोजगार मिलेगा. झारखंड में कच्चा काजू 60 से 70 रुपये किलो बिकता है. वहीं दक्षिण में 130-140 रुपये बिकता है. प्रोसेसिंग कर बेचने से एक हजार से ज्यादा कीमत मिलेगी.

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