मुसाबनी : पारुलिया पंचायत के सितुमपाल टोला के करीब आधे दर्जन सबर परिवार जिल्लत की जिंदगी जी रहे हैं. यहां के अधिकांश सबर परिवार फूस की झोपड़ी में रहते हैं और गड्ढे का पानी पीने को विवश हैं. सात वर्ष पूर्व तीन सबरों को बिरसा आवास मिला था. बिचौलिया ने आधे अधूरे आवास निर्माण किया. आंधी में दो बिरसा आवास की छत का टीना उड़ गया. सितुमपाल के सबर शंक नदी के गड्ढे का पानी पीते हैं. दो दिन पूर्व खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत की गयी है. उक्त चापाकल से पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. सबर बरसात में टापू की जिंदगी जीते हैं.
आवागमन के लिए सड़क नहीं है. लेढ़ा सबर, मंगल सबर, माधव सबर, काठू सबर, टीपू सबर, दोलो सबर का परिवार फूस की झोपड़ी में रहते हैं. बारिश के मौसम में रात में सबर परिवार बालियाढीपा उमवि के बरामदे में सोते हैं. यहां के सबरों की आजीविका जंगल के भरोसे चलती है. लकड़ी लाकर बेचते हैं तब पेट चलता है. मनरेगा में काम करने नहीं चाहते हैं. लेढ़ा सबर ने कहा कि मनरेगा में काम करने से 15 दिन में मजदूरी मिलती है. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल है. यहां के सबर सरकारी योजना से वंचित हैं.