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रेलवे लाइन का दोहरीकरण अधर में

साहिबगंज: झारखंड व बिहार के रेल संपर्क को और अधिक सुलभ बनाने के लिए तीनपहाड़-भागलपुर रेल लूपखंड के 111 किलोमीटर हिस्से का दोहरीकरण के काम को रेलवे मंत्रलय ने 2009 में मंजूरी दी थी. करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च कर चार चरणों में रेल लाइन का दोहरीकरण होने था. पहले चरण में तीनपहाड़ से […]

साहिबगंज: झारखंड व बिहार के रेल संपर्क को और अधिक सुलभ बनाने के लिए तीनपहाड़-भागलपुर रेल लूपखंड के 111 किलोमीटर हिस्से का दोहरीकरण के काम को रेलवे मंत्रलय ने 2009 में मंजूरी दी थी.

करीब दो सौ करोड़ रुपये खर्च कर चार चरणों में रेल लाइन का दोहरीकरण होने था. पहले चरण में तीनपहाड़ से साहिबगंज के बीच काम पूरा हो गया है. उधर, दूसरे चरण में साहिबगंज-पीरपैती के बीच कई जगह ट्रैक दोहरीकरण का काम चल रहा है. हालांकि रेल अधिकारियों का दावा है कि समय पर काम पूरा कर लिया जायेगा. जानकारी के मुताबिक तीन साल में महज 17 किलोमीटर दोहरीकरण का काम ही पूरा हो पाया है. तीनपहाड़ से भागलपुर के बीच की दूरी 111 किलोमीटर है. बड़ा सवाल यह है कि जब 17 किलोमीटर ट्रैक दोहरीकरण में तीन साल लग गये तो 111 किलोमीटर ट्रैक दोहरीकरण में कितना समय लगेगा.

सिंगल ट्रैक से हो रही परेशानी
तीनपहाड़ से भागलपुर रेलखंड में सिंगल ट्रैक होने से ट्रेनों की गति धीमी हो जाती है. ज्ञात हो कि 1862 में साहिबगंज लूपखंड का निर्माण हुआ था. इसके बाद से इस रेलखंड पर कभी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. वर्तमान में इस ट्रैक पर 21 जोड़ी ट्रेनें दौड़ती है. जिससे ट्रेन पासिंग में समस्या होती है. इधर साहिबगंज रेलवे स्टेशन के प्रबंधक केपी सिंह ने बताया कि इस रेलखंड में क्षमता से अधिक ट्रेनों के परिचालन की वजह से अक्सर ट्रैक में खराबी आ जाती है. इस वजह से रेलवे बोर्ड इस रेलखंड पर और अधिक ट्रेनों का लोड देना नहीं चाहती.

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