दुमका : बिहार से अलग हुए एक दशक से ज्यादा बितने के बाद भी राज्य का समुचित विकास नहीं हाे पाया है. आज भी पहाड़िया गांव की स्थिति में किसी प्रकार से कोई सुधार नहीं हुई है. जिसके कारण ग्रामीण आज भी बदहाली का जीवन जीने को विवश हैं.
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हाल ताराजोड़ा गांव का पानी के लिये तरस रहे पहाड़िया, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
दुमका : बिहार से अलग हुए एक दशक से ज्यादा बितने के बाद भी राज्य का समुचित विकास नहीं हाे पाया है. आज भी पहाड़िया गांव की स्थिति में किसी प्रकार से कोई सुधार नहीं हुई है. जिसके कारण ग्रामीण आज भी बदहाली का जीवन जीने को विवश हैं. जिला मुख्यालय से महज ग्यारह किलोमीटर […]
जिला मुख्यालय से महज ग्यारह किलोमीटर दूर अवस्थित सदर प्रखंड के गुहियाजोड़ी पहाड़ के ठीक पीछे ताराजोड़ा गांव के पहाड़िया टोला के लोगों को पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. सदर प्रखंड के भुरकुंडा पंचायत के अंतर्गत आने वाली इस टोला में 35 परिवार निवास करते हैं. पर पेयजल जैसी गंभीर समस्या पर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं. पेयजल के लिए टोला में विभाग द्वारा चार चापाकल गड़वाया गया है. जिसमें एक ही चापाकल से किसी तरह पानी दे रहा है.
ग्रामीणों की माने तो उक्त चापाकल की मरम्मत ग्रामीण खुद से कराये है. वहीं तीन आज भी खराब पड़ा हुआ है. ग्रामीण बताते हैं कि चुड़का मुर्मू के घर के सामने का चापाकल चार वर्षों से खराब है. वहीं गंगू सिंह के पास लगा चापाकल तथा आंगनबाड़ी का चापाकल तीन माह से बेकार पड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि पानी को लेकर मवेशियों को भी परेशानी हो रही है. ग्रामीणों कहा कि वोट मांगने जनप्रतिनिधि हाथ जोड़कर पहुंच जाते हैं पर गांव की समस्या को दूर करने का जब वक्त आता है तो नजर नहीं आते.
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