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आरटीआइ एक्टीविस्ट हतोत्साहित न हों
दुमका : सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा है कि आयोग द्वारा अब तक केवल रांची में ही सूचनाधिकार के मामलों की सुनवाई होती रही है, लेकिन अब जिलास्तर पर भी सुनवाई करने पर विचार हो रहा है. दुमका में रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने […]
दुमका : सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी ने कहा है कि आयोग द्वारा अब तक केवल रांची में ही सूचनाधिकार के मामलों की सुनवाई होती रही है, लेकिन अब जिलास्तर पर भी सुनवाई करने पर विचार हो रहा है.
दुमका में रेड क्रॉस सोसायटी द्वारा आयोजित एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि आयोग सूचना प्राप्त करने में आ रही कठिनाईयों के बारे में अवगत है और उसके निदान के दिशा में लगातार काम कर रहा है. 3 माह में आयोग का वेबसाईट उपलब्ध होगा और यदि इसके लिए राशि नहीं मिलती तो वह अपने वेतन से इसे शुरू करेंगे.
उन्होंने कहा : आयोग के साथ आरटीआई कार्यकताओं को भी अपनी विश्वसनीयता बनाये रखने के बारे में चिंता करनी होगी. उन्होंने आरटीआइ के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार ही तंत्र को प्रजातंत्र बनाता है, इसका उपयोग नहीं होगा तो दुरुपयोग करनेवाले हावी हो जायेंगे. सूचना आयुक्त ने कहा कि सूचना वह है जो संधारित है. सूचना का सृजन नहीं हो सकता है. काल्पनिक चीजों का जवाब नहीं हो सकता है. निजता से संबंधित सूचनाएं नहीं दी जा सकती है. सार्वजनिक हित में कैशबुक से लेकर प्रमाणपत्र की कॉपी तक कुछ भी मांगी जा सकती है.
आरटीआइ एक्ट ने इतनी ताकत दी है कि आप सड़क के नमूना लेकर उसकी जांच भी करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि आरटीआइ के लड़ाई में आपको प्रताड़ित और हतोत्साहित करने का पूरा प्रयास किया जायेगा पर आप उम्मीद न छोड़े तबतक पूछते रहें जबतक कि जवाब मिल नहीं जायें. उन्होंने यह भी बताया कि सूचना नहीं देने पर आयोग को 250 रुपये प्रतिदिन के दर से 25000 रुपये तक फाइन करने, आवेदक को परेशान करने के एवज में क्षतिपूर्ति दिलवाने और 20(2) के तहत विभागीय कार्रवाई का अधिकार है.
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