दुमका : धाधकिया के सतन आश्रम में देवी दुर्गा के रुप में कुंवारी कन्या के पूजन की परंपरा अब भी बरकरार है. इस आश्रम में शहर के अन्सय पूजा पंडालों से थोड़ी अलग पूजा पद्धति दिखती है. यहां पूजन अनुष्ठान में किसी तरह की संक्षिप्तता नहीं बरती जाती है.
आश्रम से जुड़ी विमला देवी बतातीं हैं कि आश्रम के संस्थापक जगदीश बाबा ने दुर्गापूजा के साथ–साथ महाष्टमी के देवी स्वरुप गौरी के रुप में कुंवारी कन्या के पूजन की परंपरा शुरु की थी. आज भी यह परंपरा बरकरार रखी गयी है.
इस साल भी धाधकिया आश्रम में कोलकाता, बोलपुर सहित विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में भक्त जुटे थें. जिला परिषद् के अध्यक्ष पुलिस नाथ मरांडी, अधिवक्ता सोमा गुप्ता के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय लोग व आश्रम के सदस्यों की भी उपस्थिति देखने को मिली.
शांतिपुर के सुदिप्तो चटर्जी व नारायण प्रसाद आचार्य ने मंत्रोच्चरण के साथ महागौरी की पूजा करायी. कास के सफेद फूलों और मोरपंख से गुच्छों से सजे ढाक पर सफेद धोती पहने कलाकारों का दल शंख और घंटे की ध्वनि के साथ ताल दे रहे थे, तो पूरा आश्रम भक्ति में डूबा दिख रहा था.