– गांव की सीमा पर बंटा प्रसादसंवाददाता, दुमकादुमका प्रखंड के बागडुबी गांव में संताल आदिवासियों द्वारा शनिवार को गाडा-पारोम पूजा की गयी. यह पूजा चैत महीने में मनाया जाता है. जिस कारण कुछ जगहों पर इसे चैत पूजा भी कहा जाता है. गाडा-पारोम का शाब्दिक अर्थ गाडा अर्थात नदी और पारोम का अर्थ पार है. नदी के पार होनेवाली यह पूजा गांव के शुद्धिकरण और सुख-शांति के लिए होती है. ग्रामीण गांव में चार जगह पूजा करते हैं. गांव के दोनों कुल्ही मुचह यानी दोनों छोर पर और बीच में दो जगह पूजा करते हैं. इसके साथ-साथ हर घर में जाकर शुद्धिकरण किया जाता है. अंत में गांव की सीमा के बाहर भेड़ और लाल मुरगा की बलि दी जाती है. साथ ही गांव की सीमा के बाहर ही खिचड़ी बना कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं. मौके पर सोम सोरेन, पांडा सोरेन, करण टुडू, लालू मरांडी, रमण मरांडी, सिलास मुर्मू, शिवलाल टुडू, बबलू मरांडी, सुशील सोरेन, सिरिल मरांडी, धोमा हेंब्रम, भगन मरांडी, कमलेश सोरेन, बाबूलाल मरांडी, कुल्लू सोरेन, सोम मरांडी, हाकिम मुर्मू, ज्योतिन मरांडी, सच्चिदानंद सोरेन आदि उपस्थित थे. ——————————–फोटो4-दुमका-पूजा
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ओके… गांव की शुद्धि को ले आदिवासियों ने की गाड़ा पारोम पूजा
– गांव की सीमा पर बंटा प्रसादसंवाददाता, दुमकादुमका प्रखंड के बागडुबी गांव में संताल आदिवासियों द्वारा शनिवार को गाडा-पारोम पूजा की गयी. यह पूजा चैत महीने में मनाया जाता है. जिस कारण कुछ जगहों पर इसे चैत पूजा भी कहा जाता है. गाडा-पारोम का शाब्दिक अर्थ गाडा अर्थात नदी और पारोम का अर्थ पार है. […]
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