दुमका : बासुकिनाथ के शिवगंगा घाट की पहचान अब प्राचीन ऋषि-मुनियों के नाम से होगी. मंदिर के बगल में बने शिवगंगा के चारो दिशाओं में पक्के घाट का निर्माण किया गया है. विश्व प्रसिद्ध श्रवणी मेले में पहुंचने वाले लोगों की सुविधा को देखते हुए प्रशासन ने इस तरह का निर्णय लिया है.
इससे श्रद्धालुओं के साथ-साथ यहां के पंडितों को भी काफी सहुलियत होगी. दरअसल जब श्रवणी मेले में हर दिन लाखों लोग पहुंचते हैं, तो एक-दूसरे से संपर्क के दौरान यह नहीं बता पाते कि वे शिवगंगा के किस घाट या किस दिशा में हैं. ऐसे में घाटों के नामकरण से न सिर्फ इसकी पहचान बनेगी, बल्कि इसकी स्वच्छता आदि को लेकर भी लोगों में जागरुकता आयेगी.
शिवालयों के समीप के तालाब का है महत्व : धर्मग्रंथ भी शिवालयों के समीप के तालाब को गंगा की तरह ही पवित्र बताते हैं.
यही वजह है कि शिवालयों के साथ-साथ शिवगंगा भी धार्मिक आस्था का केंद्र रहता है. बासुकिनाथ के शिवगंगा में भक्त न सिर्फ पूजन-जलार्पण से पूर्व डुबकी लगाते हैं, बल्कि शिवगंगा की पूजा-वंदना भी करना नहीं भूलते.
शिवगंगा में भरा जायेगा स्वच्छ जल
इन दिनों बासुकिनाथ शिवगंगा की सफाई हो रही है. शिवगंगा के तल में से दलदल व गाद को निकाला जा रहा है.इसके लिए दर्जन भर पंपिंग सेट लगाये गये हैं. बड़ी संख्या में मजदूर भी लगाये गये हैं. तल से कीचड़युक्त मिट्टी निकालने तथा घाटों की मरम्मति के उपरांत इसमें स्वच्छ जल भरा जायेगा. शिवगंगा घाट में गंदगी और पानी के दूषित हो जाने से श्रद्धालुओं की आस्था प्रभावित होती थी. त्वचा संबंधी रोग से भी वे प्रभावित होते थे.
– आनंद जायसवाल –