विनाशकारी संशोधित भू अधिग्रहण कानून को वापस लेने की मांग की
दुमका : जमीन की सुरक्षा के सवाल पर झारखंड आंदोलन की तरह एक बार फिर तपने लगा है. पूरा विपक्ष एकजुट है और उनका गुस्सा भाजपा की रघुवर दास सरकार के खिलाफ गांव से लेकर शहर तक है.
भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन के खिलाफ तमाम विपक्षी दलों ने गुरुवार को सभी प्रखंड मुख्यालयों के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया और सरकार के नीतियों की आलोचना की. कहा कि सरकार किसानों-गरीबों की नहीं, पूंजीपतियों, जमीन दलालों और उद्योगपतियों की फिक्र कर रही है. सरकार को बताना चाहिए कि कौन सी विकास योजनाओं के लिए उसे जमीन अधिग्रहण करने में परेशानी आ रही है. धरना कार्यक्रम में झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा, कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी जैसे दलों ने भाग लिया.
प्रखंड विकास पदाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा. सदर प्रखंड में संयुक्त विपक्षी दलों द्वारा दिये गये धरना को संबोधित करते हुए जेएमएम के केंद्रीय महासचिव विजय कुमार सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति को जनहित में यह भूमि अधिग्रहण बिल वापस लेना चाहिए. धरना में सुभाष कुमार सिंह, असीम मंडल, शिव कुमार बास्की, धर्मेंद्र सिंह, एहतेशाम अहमद, सुभाष हेंब्रम, कयूम अंसारी, जमील अख्तर, सिराजुद्दीन अंसारी, सुशील दुबे, रवि यादव, विजय मल्लाह, प्रमोद मंडल आनंद मांझी आदि शामिल थे.
उद्योगपतियों के दबाव में है सरकार
सरैयाहाट. भूमि अधिग्रहण बिल 2013 संशोधन के विरोध में संयुक्त विपक्ष की ओर से सरैयाहाट प्रखंड मुख्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया गया. धरना को संबोधित करते हुए जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष अशोक कुमार ने कहा कि यह रघुवर सरकार उद्योगपतियों के दबाव में कम कर रही है. बिल में संशोधन कर लोगों को अपनी जमीन से बेदखल करना चाहती है.
जेवीएम नेता विजय तिवारी ने कहा कि सरकार जानबूझ कर बिल में संशोधन कर कॉरपोरेट घरानों के हाथों जमीन को सौंपना चाहती है. उनके इस मंसूबे को यहां की जनता जान चुकी है. संयुक्त विपक्ष की ओर से प्रखंड विकास पदाधिकारी को राष्ट्रपति के नाम से एक ज्ञापन सौंपा गया. मौके पर अशोक यादव, कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष बालमुकुंद यादव, आरजेडी नेता राकेश कुमार, देवलाल बेसरा, मुर्तुजा अंसारी, दीपक यादव आदि मौजूद थे.