दुमका : संताल परगना के पांच जिलों में वहां की प्रमुख नदियों के तट पर वन विभाग ने पौधरोपण कराने की योजना बनायी है. इसकी शुरुआत एक साथ राज्य के सभी जिलों में दो जुलाई को होगी. प्रमंडल में साहिबगंज जिले को छोड़ दुमका, देवघर, गोड्डा, पाकुड़ व जामताड़ा जिले में नदी के तट पर पौधरोपण कराने के लिए स्थल चिह्नित करने का भी काम किया जा चुका है.
दुमका अंचल के अधीन दुमका प्रमंडल में मयुराक्षी नदी के तट पर बांदरकोंदा के पास लगभग पांच किलोमीटर की लंबाई में 30 हजार पौधे लगाये जायेंगे. इसी तरह पाकुड़ में बांसलोइ नदी के तट पर तथा गोड्डा जिले में गेरुवा नदी में पांच-पांच किलोमीटर की दूरी तक पौधरोपण किया जायेगा. इसके अलावा जामताड़ा में बरा कर नदी के तट पर व देवघर में पतरो नदी के तट पर पौधरोपण किया जायेगा. देवघर में आठ किलोमीटर की दूरी तक पौधरोपण कराने की योजना है.
क्या है सरकार की सोच : सरकार की सोच है कि ऐसे अभियान के माध्यम से नदियों के तट को हरा-भरा बनाया जाये. पहले चरण में प्रत्येक प्रमंडल में एक-एक नदी का चयन इस योजना के तहत किया गया है. पांच-पांच किलोमीटर तक पहले चरण में पौधरोपण कराने के बाद अगले वर्ष भी बरसात के बाद द्वितीय चरण में इसी तरह के पौधरोपण का सिलसिला जारी रखा जायेगा.
कहां कौन-सी नदी है चयनित . दुमका में मयुराक्षी, गोड्डा में गेरुवा, पाकुड़ में बांसलोई, देवघर के पतरो तथा जामताड़ा जिले में बराकर नदी के किनारे-किनारे होगा पौधरोपण
ऐसे पौधरोपण से किस तरह का मिलेगा लाभ
नदी के किनारे पौधरोपण किये जाने से पौधे सूखेंगे नहीं. ऐसे पौधरोपण से न केवल नदियों का संरक्षण संभव होगा, बल्कि मिट्टी के कटाव तथा प्रदूषण के बढ़ते खतरे भी कम होते जायेंगे. तटों पर लगाये जाने वाले पौधे जलस्तर को बनाये रखने में भी सहयोग करेंगे तथा हरियाली बढ़ेगी, यह सबसे महत्वपूर्ण लाभ होगा.
नदियों के किनारे पौधरोपण की योजना बनायी गयी है. एक साथ पूरे राज्य में दो जुलाई से इसकी शुरुआत होगी. दुमका के मयुराक्षी, गोड्डा के गेरुवा व पाकुड़ के बांसलोई नदी इसके लिए चिह्नित किये गये हैं. इसमें मंत्री व अन्य गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया जायेगा.
जेपी केशरी, वन संरक्षक, दुमका अंचल