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जागरूकता: नवजात की मुत्यु दर में कमी को लेकर सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यशाला, जिले में नहीं बचते 1000 में 29 नवजात

धनबाद : धनबाद में एक हजार में से 0-28 दिन के 29 नवजात की मृत्यु हो जाती है. गंभीर नवजात की पहचान कर इलाज कराने से मृत्यु दर 50 प्रतिशत कम की जा सकती है. इसमें सहियाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. यह बातें सिविल सर्जन कार्यालय में नवजात की मुत्यु दर कमी को लेकर […]

धनबाद : धनबाद में एक हजार में से 0-28 दिन के 29 नवजात की मृत्यु हो जाती है. गंभीर नवजात की पहचान कर इलाज कराने से मृत्यु दर 50 प्रतिशत कम की जा सकती है. इसमें सहियाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. यह बातें सिविल सर्जन कार्यालय में नवजात की मुत्यु दर कमी को लेकर आयोजित कार्यशाला में डॉ आलोक विश्वकर्मा ने कही. मौके पर यूनिसेफ के रीजनल को-आॅर्डिनेटर बी दुबे मौजूद थे. उन्होंने बताया कि झारखंड में एक वर्ष में 0 से लेकर 28 दिन के 40 हजार नवजात बीमार होते हैं.

इनमें से 20 हजार दम तोड़ देते हैं. सहियाएं ऐसे गंभीर नवजात की पहचान कर पीएमसीएच के एसएनसीयू में भरती करायें, जहां अलग से 24 घंटे डॉक्टर मौजूद रहते हैं. बैठक में जिला कार्यक्रम समन्वयक, बीटीटी, सहियाएं आदि मौजूद थे.

ऐसें करें पहचान
डॉक्टरों ने बताया कि नवजात की सांसें तेज होना, फूलना, वजन कम होना, कम समय में जन्म होना आदि लक्षण पाये जाने पर उसे एसएनसीयू में भरती करायें. इसके लिए ममता वाहन का सहयोग लें.
सहिया करें नवजात की निगरानी
पदाधिकारियों ने बताया कि सहियाओं को अपने क्षेत्र के वैसे सभी नवजात जो डिलिवरी के बाद घर आते हैं, उनकी निगरानी करनी है. हर तीसरे व सातवें दिन से लेकर 42वें दिन तक निगरानी करें. इसके लिए सहियाओं को अलग से मानदेय मिलता है. बताया कि एसएनसीयू का निर्माण पीएमसीएच में यूनिसेफ की मदद से किया गया है. इसमें बच्चों के इलाज से लेकर तमाम सुविधाएं मौजूद हैं. बाहर में एसएनसीयू के लिए बड़े अस्पताल आठ हजार रुपये प्रति दिन चार्ज करते हैं.

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