धनबाद: चीरागोड़ा की रहने वाली काव्या ने विनोबा भावे यूनिवर्सिटी में पीजी (अंगरेजी) में पांचवें रैंक पर आ कर माता-पिता का नाम तो रोशन किया है. उसने अपने कॉलेज पीके राय, धनबाद का भी मान बढ़ाया है.
काव्या बताती है कि उन्होंने कभी रात भर जाग-जाग कर नहीं पढ़ा और न ही बिना खाये पीये लगातार आठ-नौ घंटे मेहनत की. लेकिन, जितनी देर पढ़ी, मन लगा कर पढ़ी. वह कहती है कि पढ़ाई तभी होती है, जब दिमाग में कोई स्ट्रेस ना हो, माइंड फ्रेश हो. मेरे पापा हमेशा मुङो कहते आये हैं कि पढ़ाई को बोझ समझ कर मत पढ़ो, इंजॉय कर पढ़ा करो.
एमए के चारों सेमेस्टर में फस्र्ट सेकेंड और थर्ड रैंक को हमेशा बरकरार रखा. बारहवीं में स्टेट में सेकेंड टॉपर रही है. काव्या पीएचडी करना चाहती है, पर उससे पहले एमफिल करेंगी. काव्या अपने इस सक्सेस का श्रेय अपने गुरुओं आरबी प्रसाद, हिमांशु चौधरी और एमके पांडे और अपनी माता मधु ओंकार, पिता ओंकार नाथ और दोस्त व भाई कुमार विशाल को देती हैं. काव्या यह कहती हैं कि अगर वो किसी बड़े पोस्ट या किसी अच्छे मुकाम पर पहुंच जाती है तो महिलाओं और लड़कियों के लिए कुछ अच्छा और उनके शिक्षा के लिए बड़ा कदम उठाने का इच्छा रखती है.