हर वक्त मुस्कुराता चेहरा, दोनों हाथ जोड़कर कर सभी का अभिवादन, बिना संकोच बड़ों का पैर छूना, हर किसी से प्यार से मिलना, छोटे-बड़े सभी आयोजनों में उपस्थिति आदि गुणों ने नीरज सिंह को धनबाद कोयलांचल का सबसे लोकप्रिय युवा नेता बना दिया था. महज सात वर्षों में नीरज ने कोयलांचल की राजनीति में जो लोकप्रियता हासिल की, उसके लिए दो ही शब्द हो सकते हैं-बेजोड़ व बेमिसाल. नीरज कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे, लेकिन उनकी लोकप्रियता पार्टी लाइन से ऊपर उठ चुकी थी.
कोयलांचल का समाज हो या फिर कोयलांचल की राजनीति, नीरज के दोस्त-ही-दोस्त थे. वर्ष 2010 में नीरज ने धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर का चुनाव ऐतिहासिक मतों से जीता. इसके बाद अपनी सक्रियता से अपना ऐसा जनाधार तैयार किया, जिसके सामने डिप्टी मेयर की कुरसी छोटी दिखने लगी. बतौर डिप्टी मेयर कई मौकों पर नीरज की लोकप्रियता सांसद व विधायक पर भारी पड़ती दिखी.
बड़ी बात यह कि कोयलांचल के ताकतवर राजनीतिक घराने सिंह मैंशन परिवार से आनेवाले नीरज ने धौंसपट्टी की राजनीति से इतर अपनी शालीन राजनीतिक छवि बनायी. पढ़ाई के बाद वह खुद का व्यवसाय कर रहे नीरज अचानक नवंबर, 2009 के विधानसभा चुनाव में धनबाद से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए. पहली प्रतिक्रिया थी-‘‘यह पैसे के दम पर की गयी मूर्खता है.’’ लेकिन नीरज ने वोट जुटाये. नीरज भले जीत नहीं पाये, मगर उनको मिले वोट ने दो दशक तक भाजपा की झोली में रही धनबाद विधानसभा सीट को कांग्रेस की झोली में डाल दिया. एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में जोरदार सेंधमारी ने नीरज को कोयलांचल की राजनीति में ‘कुछ नहीं’ से ‘कुछ खास’ बना दिया. इसके छह माह वर्ष बाद 2010 में हुए धनबाद नगर निगम के चुनाव में नीरज डिप्टी मेयर पद के लिए खड़े हुए और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की. नीरज को यह पता था कि वह जिस पारिवारिक राजनीतिक पृष्ठभूमि (सिंह मैंशन) से आये हैं, उसके उत्तराधिकारी वह नहीं होंगे.
उन्हें अपनी जमीन खुद तैयार करनी होगी और यह काम उन्होंने बखूबी किया. नीरज हर जगह दिखते थे. रणधीर वर्मा चौक पर स्टूडेंट्स का धरना-प्रदर्शन हो, कोलियरी क्षेत्र में बीसीसीएल प्रबंधन व आउटसोर्सिग कंपनी प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन हो, निरसा इलाके में कोयला खदान में हुई दुर्घटना हो, कोई सड़क दुर्घटना हो या फिर किसी चौक-चौराहे पर मारपीट की घटना, नीरज मौजूद रहते. बिना यह सोचे कि वहां उनकी मौजूदगी का कोई अर्थ नहीं. नगर निगम या विधानसभा की सीमा से ऊपर उठकर हर जगह नीरज की मौजूदगी ने उन्हें कोयलांचल के वर्तमान युवा नेताओं की भीड़ में अलग पहचान दी. अपने चाचा व पूर्व मंत्री बच्चा सिंह के नेतृत्ववाले जनता मजदूर संघ को एक ताकतवर मजदूर संगठन के बतौर खड़ा करने का श्रेय भी नीरज को जाता है. नीरज के साथ कोयलांचल के प्राय: इलाकों में युवाओं की एक अच्छी-खासी टीम जुड़ गयी. वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में नीरज ने कांग्रेस की टिकट केे चुनाव लड़ा. कामयाबी नहीं मिली, मगर उन्होंने भाजपा को कड़ी टक्कर दी. कहना गलत नहीं होगा कि ढ़ाई दशक पूर्व सचिन तेंडुलकर ने जिस तरह धुआंधार बल्लेबाजी के साथ क्रिकेट की दुनिया में प्रवेश किया, कोयलांचल की राजनीति में नीरज सिंह का प्रवेश भी कुछ वैसा ही रहा.