धनबाद: सैकड़ों स्कूल और शिक्षक, दर्जनों पदाधिकारी और कर्मचारी रहने आैर करोड़ों खर्च के बावजूद जिले की शिक्षा व्यवस्था संतोषजनक नहीं है. ‘असर’ की रिपोर्ट के अनुसार प्रारंभिक स्कूलों के दूसरी कक्षा का पाठ केवल 72 प्रतिशत बच्चे ही पढ़ पाते हैं और 28 प्रतिशत बच्चे आज भी पाठ पढ़ने में असक्षम हैं. यह हाल सीनियर स्टूडेंट्स यानी छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों का है. कमोबेश यही हाल जूनियर स्टूडेंट्स की भी है. तीसरी से पांचवीं कक्षा तक के 44.9 प्रतिशत स्टूडेंट्स ही घटाव जानते हैं और नहीं जानने वाले करीब 55.1 प्रतिशत स्टूडेंट्स हैं. 42.9 प्रतिशत स्टूडेंट्स पहली कक्षा का पाठ भी नहीं पढ़ पाते और पाठ पढ़ पाने वाले करीब 57.1 प्रतिशत ही हैं.
बढ़ रहा बीपीएल का आवेदन : निजी स्कूलों में बीपीएल कोटे में नामांकन के लिए आवेदनों की संख्या बढ़ती जा रही है. अब तक करीब एक हजार आवेदन निजी स्कूलों में इस कोटे में नामांकन को लेकर डीएसइ एवं बीइइओ कार्यालय को मिल चुके हैं. जबकि पिछले वर्षों में इससे कम आवेदन आते रहे हैं. इस तरह निजी स्कूलों की मोटी फीस चुका नहीं पाने वाले अभिभावकों इस कोटे में किसी तरह नामांकन चाहते हैं.
1.8 % लड़कियां हैं स्कूल से बाहर
जिले की 1.8 प्रतिशत बालिकाएं आज भी स्कूलों में नामांकित नहीं है, जिनकी उम्र छह से 14 वर्ष के बीच है. इसी उम्र के 18.9 प्रतिशत बच्चे निजी स्कूलों में नामांकित हैं या उनके अभिभावकों को सरकारी स्कूलों की पढ़ाई संतोषजनक नहीं लगती. सनद हो नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत छह से 14 वर्ष के बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार है. इसके लिए तमाम योजनाएं संचालित हैं और उसके नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं.