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डॉक्टरों ने किया सत्याग्रह

धनबाद. पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत इंडियन मेडिकल एसोशिएशन (आइएमए) का देशव्यापी सत्याग्रह धनबाद में भी हुआ. डॉक्टरों ने जुलूस निकाल कर छह सूत्री मांगों के समर्थन में नारे लगाये. नेतृत्व आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एके सिंह कर रहे थे. आइएमए की प्रदेश उपाध्यक्ष (महिला विंग) डॉ लीना सिंह भी शामिल थीं. प्रदेश अध्यक्ष […]

धनबाद. पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत इंडियन मेडिकल एसोशिएशन (आइएमए) का देशव्यापी सत्याग्रह धनबाद में भी हुआ. डॉक्टरों ने जुलूस निकाल कर छह सूत्री मांगों के समर्थन में नारे लगाये. नेतृत्व आइएमए के प्रदेश अध्यक्ष डॉ एके सिंह कर रहे थे. आइएमए की प्रदेश उपाध्यक्ष (महिला विंग) डॉ लीना सिंह भी शामिल थीं.

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार 1934 में बनी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) को खत्म करके नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) बना रही है. एमसीआइ के तमाम चेयरमैन, अध्यक्ष, पदाधिकारी आदि डॉक्टर ही होते हैं, इसे भी सरकार खत्म करके यहां राजनीतिक दलों के नेताओं को जोड़ेगी. 16 नवंबर 2015 को सरकार ने छह मांगों को पूरा करने का वादा किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ.

इसी कारण 16 नवंबर को ही सत्याग्रह किया जा रहा है. 11 बजे से एक बजे तक डॉक्टर सत्याग्रह पर रहे. सत्याग्रह में डॉ एनके सिंह, आइएमए के सचिव डॉ सुशील कुमार, डाॅ संजय चौधरी, डॉ समीर कुमार, डॉ बीएन गुप्ता, डॉ प्रियदर्शी, डॉ राकेश इंदर, डॉ सुजीत कुमार भी शामिल थे.

ये हैं प्रमुख मांगें
एमसीआइ को भंग नहीं किया जाये. राजनीतिक लोग इसमें जुड़कर इसे भंग कर सकते हैं.
डॉक्टरों पर हो रही हिंसा पर एक सेंट्रल एक्ट बनाया जाये. जो पूरे देश में एक साथ लागू हो. अभी हॉस्पिटल प्रोटेक्शन एक्ट 18 राज्यों में लागू है, झारखंड में दो वर्षों से आंदोलन किया जा रहा है.
कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट में डॉक्टरों से संबंधित जुर्माने के लिए फिक्स्ड एमाउंट तय किया जाये. अभी दो से पांच करोड़ तक जुर्माना कर दिया जाता है, इससे डॉक्टरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
क्लिनिकल स्टाब्लिशमेंट एक्ट सरकार ने पास किया है, लेकिन इसे कॉरपोरेट घरानों को देखकर बनाया गया है. छोटे नर्सिंग होम इससे बंद हो जायेंगे. इलाज महंगा हो जायेगा. इसमें संशोधन किया जाये.
पीसीपीएनडीटी एक्ट में संशोधन किया जाये. मामूली क्लर्किल मिस्टेक में डॉक्टरों को जेल जाना पड़ रहा है.
अंग्रेजी दवा लिखने का अधिकार माॅडर्न मेडिसिन डॉक्टर (एलोपैथी) को ही मिलना चाहिए. फाॅर्मासिस्ट या अन्य लोग दवा नहीं लिख सकते हैं.

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