धनबाद: बीसीसीएल कभी बीआइएफआर में थी. अब यह कंपनी उस प्रेतबाधा से मुक्त हो चुकी है. यह गुजरे जमाने की बात हो चुकी है. इसे भूल कर आगे की सोचें. सोमवार को सीएमडी टीके लाहिड़ी ने यह नसीहत कोयला अधिकारियों को दी. उन्होंने अधिकारियों को बेहतर प्रबंधन के कई टिप्स भी दिये. वे कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन की ओर से आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे. आयोजन बीसीसीएल शाखा ने किया था. एसो. की ओर से सीएमडी, डीपी पीइ कच्छप, डीटी डीसी झा व अशोक सरकार का भी सम्मान किया किया.
गलती से डरें नहीं : सीएमडी ने कहा- यह सोच कर निर्णय न लें कि गलती हो जायेगी. बल्कि ऐसा कर आप अपनी परेशानियों को और बढ़ा रहे हैं. निर्णय लेते वक्त इस बात का जरूर ख्याल रखें कि आपके निर्णय से सौ आदमी का फायदा जरूर हो, लेकिन किसी एक आदमी का नुकसान न हो. हमेशा अतीत की नहीं वर्तमान की सोचें. समय की ताकत का इस्तेमाल करें. व्यक्तिगत फायदे का ध्यान न रख समाज समूह के बारे में सोचें.
कंपनी से लगाव बेहद महत्वपूर्ण : कंपनी से लगाव बेहद महत्वपूर्ण है. यह बंधन जब तक नहीं होगा आप तरक्की नहीं कर सकते. क्योंकि निजी तौर पर बेहतर करने के अलावा आपको संगठन के बारे में भी सोचना होगा. इतिहास उन्हें ही याद करता है जिन्होंने देश, समाज व संगठन के लिए कोई योगदान दिया है. तेजी से निर्णय लेने के दो फायदे हैं.
पहला आप दूसरे को मौका नहीं दे रहे है, दूसरा लिये गये निर्णय को आप बेहतर तरीके से लागू कर पायेंगे. तेजी से निर्णय लेने की वजह से आप मजबूत अधिकारी के रूप में जाने जायेंगे.
जो दिमाग में आता है कर डालता हूं : अधिकारियों खास कर मैनेजमेंट ट्रेनी (एमटी) से एक चीज शेयर करना चाहता हू. मैं कुछ सोच कर नहीं करता. 99 फीसदी जो दिमाग में आता है कर डालता हूं.
मैं कभी मेधावी छात्र नहीं रहा. 74-75 फीसदी नंबर आते थे. पढ़ने का कोई शौक नहीं है. इससे अपकी वास्तविकता (ओरिजनिलिटी) कम हो जाती है. मेरा मानना है कि आप इसे बरकार रखें. आप पत्नी चूज कर सकते हैं बॉस नहीं. इसलिए अलग सोचें.
जो लीक पर नहीं चलते वही सफल : मेरा मानना है जो लीक पर नहीं चलते वही सफल हैं. जो जिस समय पर नियत है, उसी समय पर होगा. मैं कोई गहन विचार( डीप थिंकिंग) नहीं करता. मैंने अपनी ट्रेनिंग के दौरान पांच सौ मोटर चला दिया. कई बार गलतियों से भी सीखते हैं. मैं कभी प्रयोग करने से नहीं झिझकता.
नये अधिकारियों को मेरी सलाह है- पब्लिक सेक्टर से बड़ी कोई प्रयोगशाला नहीं है. हमे कुछ नया करने की सोच विकसित करनी होगी.
कंपनी का उदाहरण दिया: सीएमडी ने एक कंपनी का उदाहरण दिया . उन्होंने कहा- जब कंपनी बुरे दौर से गुजर रही थी तो एक कर्मचारी ने कंपनी के गेट पर लिख दिया दो सौ यूएस डॉलर की कंपनी. रोज उसे लोग देखते थे. यह कंपनी के लिए टर्निग प्वाइंट साबित हुआ. धीरे-धीरे कंपनी के कर्मियों ने अपनी मेहनत से इसे सच में बदल दिया. मेरा मानना है कि थ्योरी सौ फीसदी सच होती है.
ये थे सक्रिय : भवानी बंदोपध्याय,सुधांशु दूबे, डॉ डीके मिश्र, संजय सिंह समेत अन्य.