धनबाद: कोयला राज्य मंत्री प्रतीक प्रकाश बाबू पाटील ने कहा है कि झरिया पुनर्वास योजना के मास्टर प्लान में कोई संशोधन नहीं हुआ है. झरिया की आग को बुझाने के लिए सरकार गंभीर है. धनबाद के सांसद पशुपति नाथ सिंह के सवाल पर कोयला राज्य मंत्री ने लिखित जवाब में यह जानकारी दी है. कहा कि झरिया पुनर्वास योजना की लागत 7112.11 करोड़ रुपया ही है.
इसमें कोई संशोधन नहीं हुआ है. इस योजना को दस वर्षो में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है. खतरनाक क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए वर्ष 2009 में ही मास्टर प्लान को अनुमोदित किया जा चुका है. गैरबीसीसीएल कर्मियों के पुनर्वास के लिए झरिया पुनर्वास विकास प्राधिकार (जेआरडीए) को गैरबीसीसीएल कर्मियों को पुनर्वासित करने की जिम्मेदारी दी गयी है. पुनर्वास योजना में आने वाले खर्च का वहन भारत सरकार बीसीसीएल के माध्यम से करेगी.
बीसीसीएल कर्मी भी हो रहे शिफ्ट
मंत्री ने जवाब में बताया है कि अक्तूबर 2013 तक जेआरडीए द्वारा कुल 1165 गैरबीसीसीएल कर्मियों को पुनर्वासित किया जा चुका है. जबकि खतरनाक क्षेत्र में 344 मकान में रह रहे बीसीसीएल कर्मियों के लिए 1152 यूनिटों का निर्माण किया जा रहा है. एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि कोल ब्लॉक आवंटन के लिए स्क्रीनिंग समिति बनायी गयी है. नीलामी की प्रक्रिया भी लागू की गयी है.