धनबाद. पब्लिक सेक्टर बीसीसीएल में कुछ भी संभव है. गड़बड़ी, घोटाला और भ्रष्टाचार को लेकर बीच-बीच में सुर्खियों में रहनेवाला बीसीसीएल एक बार फिर चर्चे में है. बीसीसीएल के कुसुंडा एरिया स्थित एना मेगा प्रोजेक्ट के 1694,84,38,224 रुपये (करीब 1700 करोड़ रुपये) के आउटसोर्सिग कार्य को लेकर दो आउटसोर्सिग कंपनियां आरके ट्रांसपोर्ट और मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम कंपनी आमने-सामने हैं.
दोनों खुद को लोएस्ट पार्टी (एल-वन) बताकर आउटसोर्सिग कार्य पर अपना-अपना दावा किये हुए हैं. इस मामले में गलत तरीके से रिवर्स बिडिंग कर आरके ट्रांसपोर्ट को लोएस्ट पार्टी बनाने और आउटसोर्सिग कार्य देने का आरोप लगाते हुए मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्शिएम कंपनी ने रांची हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की है. मामला रांची हाइकोर्ट में विचाराधीन है. मंगलवार को रांची हाइकोर्ट में न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर ने मामले की सुनवाई करते हुए अगली तिथि 16 अक्तूबर मुकर्रर की है.
क्या है मामला : नौ मार्च, 2015 को पत्रंक नंबर बीसीसीएल/जीएम/सीएमसी/इ-टेंडर/एफ-एचइएमएम-ओएस/2015/312 के तहत बीसीसीएल उच्च प्रबंधन की ओर से कुसुंडा एरिया स्थित एना मेगा प्रोजेक्ट से कोयला खनन को लेकर ग्लोबल टेंडर निकाला गया. इ-टेंडर के तहत हुई इस नीलामी प्रक्रिया की जिम्मेदारी बीसीसीएल प्रबंधन की ओर से सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ को दी गयी थी. सी-1 इंडिया की ओर से कराये गये इस ग्लोबल इ-टेंडर में कुल नौ संवेदकों (बिडिंग कंपनियां) ने भाग लिया. इनमें सात कंपनियों को तकनीकी रूप से सही करार देते हुए बिडिंग के लिए चयनित किया गया.
सी-1 इंडिया की ओर से चार व पांच मई को उल्टी नीलामी (रिवर्स बिडिंग) आयोजित की गयी. इसमें सभी सातों कंपनियों ने हिस्सा लिया. रिवर्स बिडिंग के दौरान मेसर्स एएमआर देव प्रभा कंसोर्टियम कंपनी ने पांच मई, 2015 को 12.33 बजे अंतिम बोली लगायी. मेसर्स एएमआर देव प्रभा के अंतिम बोली लगाने के 30 मिनट बाद 1.03 बजे सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ ने बोली समाप्ति घोषित कर दी. मेसर्स एएमआर देव प्रभा के अधिकारियों का कहना है कि ‘‘चूंकि करीब 30 मिनट तक एएमआर देव प्रभा निर्विरोध न्यूनतम निविदादाता था. ऐसे में उसकी बोली स्वीकार की जानी चाहिए थी, उन्हें ही एल-वन घोषित किया जाना चाहिए था और आगे की औपचारिकता के लिए उन्हें ही आमंत्रित किया जाना चाहिए था.’’
एएमआर देव प्रभा के अधिकारियों का कहना है कि ‘‘इसके विपरित सी-1 इंडिया ने पुन: रिवर्स बिडिंग करायी और आरके ट्रांसपोर्ट को एल-वन घोषित कर दिया. पांच मई, 2015 को 1.03 बजे बोली समाप्ति घोषित करने के बाद सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ‘सी-1 इंडिया’ ने पुन: रिवर्स बिडिंग के पीछे तकनीकी खराबी का तर्क दिया है, जो पूरी तरह से निराधार है. कारण उस वक्त किसी तरह की तकनीकी गड़बड़ी नहीं हुई थी. यह बात अन्य बिडर भी स्वीकार करते हैं. आरोप है कि ‘‘बीसीसीएल उच्च प्रबंधन के दबाव में ‘सी-1 इंडिया’ ने पुन: रिवर्स बिडिंग करायी. इसके पीछे आरके ट्रांसपोर्ट को लाभ पहुंचाने का मकसद रहा.’’