धनबादः हाइकोर्ट के आदेश पर जिला परिषद् ने गुरुवार पूर्वाह्न सेंट्रल प्लाजा की दुकानों का सील खोल दिया. दुकानदार खुशी से झूमने लगे. एक दूसरे को मिठाई खिलायी. सेंट्रल प्लाजा में लगभग 50 दुकानें व आठ फ्लैट्स हैं. हाइकोर्ट के आदेश पर 29 मार्च 2011 से सेंट्रल प्लाजा सील किया गया था. 18 मई 2011 को हाइकोर्ट के अंतरिम आदेश पर इसे एक माह के लिए खोला गया. इसके बाद हाइकोर्ट के आदेश पर पुन: सील कर दिया. ढाई साल के लंबे संघर्ष के बाद 31 सितंबर 2013 को हाइकोर्ट ने सील प्रक्रिया को गलत ठहराते हुए मालिकाना हक के फैसले तक सेंट्रल प्लाजा खुला रखने का आदेश जारी किया.
राजकमल और टेक्सटाइल मार्केट भी खुले
जिला चेंबर अध्यक्ष राजीव शर्मा,बैंक मोड़ चेंबर अध्यक्ष चेतन प्रकाश गोयनका, बैंक मोड़ चेंबर सचिव सुरेंद्र अरोड़ा ने कहा कि अभी खुशी अधूरी है. एक ही प्लॉट पर राजकमल व टेक्सटाइल मार्केट भी है. मानवता को ध्यान में रखते हुए इसे भी खोल देना चाहिए. सुरेश खेतान ने कहा कि हाइकोर्ट ने सेंट्रल प्लाजा व सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन क्लब मामले में जिला परिषद् के सील करने की प्रक्रिया को गलत ठहराया. चेंबर के जिला महासचिव राजेश गुप्ता, योगेश शर्मा, डॉ डी चक्रवर्ती, अशोक सेन, संजय गोयल ने सेंट्रल प्लाजा खुलने पर हर्ष व्यक्त किया है.
इन्हें दिया गया कब्जा
देबा प्रसाद चक्रवर्ती, विमला देवी, बीणा देवी, रवींद्र कौर, गीता देवी, सुजाता दे, भुवन कुमार दे, गायत्री देवी, बिरजू साव, मुक्तिपद दत्ता.
1998 में शुरू हुआ सेंट्रल प्लाजा
यशवंत बोरा से आठ कट्ठा का प्लॉट खरीदा गया. वर्ष 1998 में सेंट्रल प्लाजा बना. प्लॉट में दस पार्टनर हैं. पचास से अधिक दुकानें हैं. दी कोयलांचल अरबन गृह निर्माण समिति ने हरसुख बोरा से वर्ष 1996 में टैक्सटाइल मार्केट का प्लॉट लिया. नर्वे लाल चंचनी से बजरंग लाल अग्रवाल व राजकमल अग्रवाल व रामनरेश ने 1981 में राजकमल के लिए प्लॉट लिया था. हाइकोर्ट के आदेश पर 29 मार्च को सेंट्रल प्लाजा, 8 अप्रैल 2011 को राजकमल मेंशन व टैक्सटाइल मार्केट सील हुआ था.