धनबाद: ढोकरा में आयोजित विस्थापित महापंचायत के दूसरे दिन रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री-सह-जेवीएम अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने ग्रामीणों को संबोधित किया और आंदोलन के लिए तैयार रहने को कहा. उन्होंने कहा कि वह विस्थापितों की मांग को लेकर सीएम से मिलेंगे और उनकी बातों को रखेंगे. इस दौरान विधायक प्रदीप यादव, जिलाध्यक्ष ज्ञानरंजन सिन्हा, रमेश राही सहित अन्य नेता व ग्रामीण मौजूद थे.
भूमि घोटाले की हो सीबीआइ जांच: पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि भूमि मुआवजा घोटाला की जांच सीबीआइ से करायी जानी चाहिए. इससे बिचौलियों के साथ कई बड़े अधिकारी व राजनेता इस मामले में घिर जायेंगे. जमीन अधिग्रहण में कई गड़बड़ियां हुई हैं. किसी को एक डिसमिल जमीन का मुआवजा 18 लाख रुपये दिया गया तो किसी को मात्र 25 हजार. रिंग रोड में इस तरह के घोटाले सामने आया है. वहीं कई ग्रामीणों की जमीन का पूरा मुआवजा बिचौलियों ने हड़प लिया है. जमीन अधिग्रहण के नाम पर करोड़ों का वारा-न्यारा हुआ है. इसमें अफसरों की भी मिलीभगत है. जमीन के असली मालिक दर-दर भटक रहे हैं.
ग्रामीणों की मांगे नहीं मानी तो आंदोलन होगा: बाबूलाल ने कहा कि ग्रामीणों के प्रतिनिधि के साथ 15 दिनों के अंदर सीएम से मिलने जायेंगे. अगर हमारी बातों को सीएम नहीं माने तो ग्रामीणों के साथ आंदोलन किया जायेगा. उन्होंने कहा कि मुकुंदा में बीसीसीएल ने ओपेन कास्ट बनाने के लिए वर्ष 1984 में 18 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया. लेकिन आज तक यहां कुछ नहीं हो सका. बीसीसीएल अब कम से कम ग्रामीणों की खेती योग्य जमीन वापस कर दे ताकि वह खेती कर सकें. उन्होंने कहा की गांव वालों को उजाड़ कर दूसरी जगह से लोगों को बसाने की योजना गलत है. झरिया से कोयला निकालने के लिए वहां के लोगों को हटा कर निपनिया समेत अन्य जगहों पर बसाया जा रहा है.
झरिया व आसपास में उत्खनन कर खाली पड़ी खदानों को समतल कर वहां नयी झरिया बसायी जा सकती है. लेकिन नयी झरिया बसाने के लिए गांव वालों को उजाड़ा जा रहा है. जेआरडीए निपनिया में 182 एकड़ जमीन अधिग्रहीत कर रहा है. यह कृषि योग्य जमीन है. सरकार व प्रशासन ग्रामीणों की नहीं सुन रहे हैं. लोगों ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. कहा कि जमीन अधिग्रहण कर कोई उजाड़ने आता है तो ग्रामीण एकजुट होकर विरोध करें. जेआरडीए ग्रामीणों को उजाड़ने के लिए बना है. इसका कोई औचित्य नहीं है, इसे भंग किया जाना चाहिए. बाद में बाबूलाल बेलगड़िया टाउनशिप व करमाटांड़ कॉलोनी पहुंचे और विस्थापितों की समस्याएं सुनीं.