धनबाद: मामला एक : धनबाद मौजा में 4.76 एकड़ (रिंग रोड के लिए) जमीन का अधिग्रहण करने के लिए रैयतों के बीच 47 करोड़ रुपये बांटे गये.
मामला दो : तिलाटांड़ मौजा में 57 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए रैयतों के बीच 18 करोड़ रुपये बांटे गये.
मामला तीन : धोखरा मौजा में सात एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए रैयतों के बीच तीन करोड़ रुपये बांटे गये.मामला चार : दुहाटांड़ मौजा में 2.50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए रैयतों के बीच करीब छह करोड़ रुपये बांटे गये.
मामला पांच : मनईटांड़ मौजा में 2.50 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए रैयतों के बीच करीब 11 करोड़ रुपये बांटे गये.
लेकिन यह पैसे किसे मिले? यह सवाल खड़ा है. किस नियम के तहत इन पैसों का वितरण हुआ? यह सवाल भी खड़ा है. भू-अजर्न अधिनियम की धारा 9 व 12 को ताक पर रखकर भुगतान हुआ. विभाग द्वारा बिना अवार्ड के, बिना प्राक्कलन स्वीकृति के, बिना धारा 9 के तहत सुनवाई के, बिना कैंप लगाये बांट दिये गये पैसे. न तो डीसी का स्थल निरीक्षण हुआ और न ही दर प्रतिवेदन.
केंद्र सरकार ने झरिया से विस्थापित होने वाले लोगों को धनबाद में पुनर्वासित करने की योजना बनायी है. इसके लिए धनबाद जिले के विभिन्न इलाकों में बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण की योजना है. जिले के कुछ मौजा में जमीन का अधिग्रहण की कार्रवाई चल भी रही है. धनबाद जिले के चार मौजा की लगभग 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है. अब तक इस एवज में 100 करोड़ से भी अधिक का मुआवजा भुगतान किया जा चुका है. सिर्फ धनबाद मौजा में रिंग रोड के लिए 47 करोड़ का भुगतान किया गया है. लेकिन ये भुगतान नियमों को ताक पर रखकर किये गये हैं. मुआवजा राशि में गड़बड़ी के इस खेल में एक संगठित गिरोह काम कर रहा है. ये लोग मृत व्यक्ति तक को मुआवजा का भुगतान करवा देते हैं. इस भुगतान के खेल में करोड़ों की हेराफेरी का मामला सामने आ रहा है. ये गिरोह जमीन की प्रकृति बदलने के अलावा, नक्शा बदलने, मकान व जमीन मूल्यांकन का प्रस्ताव भी मन मुताबिक बनवाकर पुनर्वास योजना की धज्जियां उड़ा रहे हैं. अगर झरिया पुनर्वास और रिंग रोड निर्माण और मैथन थर्मल पावर के लिए भूमि अधिग्रहण और मुआवजा के भुगतान की गहन जांच हो तो यह घोटाला करोड़ों में हो सकता है.
दर निर्धारण में गड़बड़ी
धनबाद में झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकार के तहत रिंग रोड निर्माण के लिए धनबाद मौजा की 4.76 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. इस जमीन की प्रकृति में भी छेड़छाड़ की गयी. दिसंबर, 2012 तत्कालीन डीसी सुनील वर्णवाल ने 4.76 एकड़ जमीन के लिए 62 करोड़ 14 लाख 70 हजार 445 रुपये का भुगतान अनुमोदित कर दिया था. लेकिन उन्हें दर निर्धारण में गड़बड़ी की भनक मिली तो पुन: जांच करवायी. दर रिवाइज्ड करवाकर करीब 47 करोड़ रुपये मुआवजे के भुगतान की स्वीकृति दी. यह स्वीकृति श्री वर्णवाल ने अप्रैल 2012 में दी. इस तरह लगभग 15 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान पकड़ा गया था. यह एक उदाहरण है गड़बड़ी का. भू-अजर्न कार्यालय में पुनर्वास योजना के तहत मुआवजा भुगतान संबंधी दस्तावेज अप-टू-डेट नहीं हैं. न ही इस कार्यालय में दस सालों से दस्तावेजों की जांच ही हुई है.
अधिक मुआवजे के लिए बदल देते हैं जमीन की प्रकृति
तत्कालीन डीसी ने दिसंबर 2011 को दर अनुमोदित किया था. उसमें जमीन की प्रकृति बदल कर अधिक मुआवजा भुगतान करने की बात आयी थी. दर असल रिंग रोड के लिए 4.76 एकड़ जमीन धनबाद मौजा का अधिग्रहण किया जाना था. जिसमें बहाल-0.46 एकड़, कनाली-0.45 एकड़, वाईद- 0.17 एकड़, गोड़ा (1)-0.51 एकड़ व गोड़ा(2)-3.16 एकड़. इसमें पांच प्रकृति वाली जमीन में सबसे अधिक मुआवजा गोड़ा-1 व 2 को मिलता है. इसलिए कई बहाल, कनाली, वाईद जमीन के हिस्से को भी गोड़ा शो करके मुआवजा भुगतान की कोशिश हुई, जिसे बाद में डीसी ने बदला.
रिंग रोड के लिए अधिग्रहण की दर
1. दोन (वाईद, कनाली, बहाल) : 3.70 करोड़ प्रति एकड़
2. टांड़ (गोड़ा-1, गोड़ा-2, गोड़ा-3) : 8.21 करोड़ प्रति एकड़
औने-पौने दाम में जमीन खरीद
जब अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी होती है तब उक्त जमीन की खरीद-बिक्री बंद हो जाती है. लेकिन झरिया पुनर्वास के अधिग्रहण में उस जमीन की भी खरीद-बिक्री हो रही है. यहां तक मोटेशन भी करवा लेते हैं. ये बिचौलिये औने-पौने दाम में झांसा देकर रैयत से जमीन खरीद लेते हैं. प्लॉट का गलत नक्शा बनवाकर, अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करके भू-अजर्न विभाग से मोटी राशि मुआवजे के रूप में प्राप्त कर लेते हैं.
मैथन थर्मल पावर प्लांट के लिएजमीन अधिग्रहण में भी गड़बड़ी
वर्ष 2011-12 में मैथन थर्मल पावर प्लांट के लिए पांड्रा मौजा मौजा में 27 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. जानकारी के मुताबिक सिर्फ पांड्रा मौजा में 100-150 फरजी नाम, जिनकी जमीन भी नहीं गयी थी, उसे मुआवजा भुगतान कर दिया है. भुगतान की गयी राशि करीब तीन करोड़ थी. निरसा के विधायक अरुप चटर्जी ने इस गड़बड़ी को विधानसभा में उठाया. माले विधायक विनोद सिंह के नेतृत्व में विधानसभा की समिति बनी लेकिन सरकार की उथल-पुथल में जांच नहीं हो सकी, मामला ठंडे बस्ते में चला गया. उसके बाद पंचायती राज विभाग ने जांच के लिए लिखा. तत्कालीन डीसी ने मामले की जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी बनायी. कमेटी ने जांच कर गड़बड़ी की रिपोर्ट भी दी. लेकिन धारा 30 के तहत करोड़ों की गड़बड़ भुगतान की रिकवरी के बारे में रिपोर्ट में कुछ नहीं लिखा. सिर्फ कानून-गो व अमीन पर कार्रवाई करके खानापूर्ति कर दी गयी. मैथन थर्मल पावर लिमिटेड को और भी कई मौजा की जमीन दी गयी, इन सबके अधिग्रहण की जांच हो तो यहां भी करोड़ों की गड़बड़ी उजागर हो सकती है.
गड़बड़ी पकड़े जाने पर नपते हैं छोटे कर्मी
इस विभाग में योजना की जांच संबंधी कभी कोई शिकायत डीसी को मिलती है तो डीसी जांच का जिम्मा जिला भू-अजर्न पदाधिकारी को ही दे देते हैं. यानी जिसके खिलाफ जांच करनी है, उसी को जांच का जिम्मा सौंप दिया जाता है. बड़ी गड़बड़ी को छिपाने के लिए छोटे कर्मी को दोषी करार देकर कार्रवाई के लिए लिख दिया जाता है. इसमें वैसे कर्मी कोप का भाजन बनते हैं जो उनके रैकेट का हिस्सा नहीं होते. वैसे एमपीएल के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवाज देने में हुई गड़बड़ी में धनबाद के एक जिला भू-अजर्न पदाधिकारी लाल मोहन नायक पर भी कार्रवाई हो चुकी है. उन्हें यहां डीएलएओ के पद से हटाया गया. विभागीय कार्रवाई चल रही है. फिलहाल मुख्यालय में पदस्थापित हैं.
कैंप लगाकर नहीं होता भुगतान
ऐसे ही एक कानून-गो रहे हैं मिथिलेश कुमार, जिन्हें एक बार इस मामले में निलंबित होना पड़ा था. उन्होंने जिला भू-अजर्न पदाधिकारी को जो पत्र लिखा था, यह प्रमाणित करता है कि भू-अजर्न कार्यालय में किस कदर गड़बड़ी हो रही है. श्री कुमार ने कहा था कि जिला भू-अजर्न अधिनियम का तत्कालीन पदाधिकारी ने सही तरीके से पालन नहीं किया, इसका खामियाजा उन्हें निलंबित होकर भुगतना पड़ा. यदि कैंप लगाकर व हल्का कर्मचारी की पहचान पर मुआवजा भुगतान किया जाता तो भुगतान पूर्व पता चल जाता कि वादी की मृत्यु 60 वर्ष पूर्व हो चुकी थी. उन्होंने खुलासा किया कि इस योजना मद में मुआवजे का भुगतान बिना कैंप लगाये किया जा रहा है और बाद में गलत भुगतान की बात आती है तो अमीन व कानून-गो को दोषी ठहरा दिया जाता है. श्री कुमार ने कहा कि उन्हें आशंका है कि उनका जाली हस्ताक्षर कर भुगतान कर दिया होगा. इसलिए इसकी उच्चस्तरीय जांच करवायी जाये. मिथिलेश कुमार से गहन पूछताछ की जाये, तो कई चौंकानेवाले तथ्य सामने आयेंगे. सूत्रों के मुताबिक फिलवक्त मिथिलेश कुमार धनबाद से बाहर रह रहा है. उसने खुद की जान का खतरा बताया है.
लैंड लूजर बन कर ले रहे पैकेज
एमपीएल को जमीन देने के मामले में रैयतों ने भी खूब खेल खेला. एक रैयत के पास अगर एक एकड़ जमीन है तो अधिग्रहण से पहले उसे अपने चार-पांच नजदीकी रिश्तेदारों के नाम रजिस्ट्री कर दी. एमपीएल की ओर से प्रत्येक लैंड लूजर को जमीन के बाजार मूल्य के अलावा कंपनी की नीति के तहत लगभग दो लाख रुपये का पैकेज दिया गया है. इसका लाभ उठाने के लिए नाबालिग के नाम भी जमीन रजिस्ट्री कर दी गयी.
वजर्न
एमपीएल के लिए भू-अजर्न के दौरान मुआवजा भुगतान में गड़बड़ी हुई है. पूर्व डीएलएओ लाल मोहन नायक को हटाया जा चुका है. उनके खिलाफ प्रपत्र ‘‘क’’ गठित हो चुका है. एक मामले में प्राथमिकी भी दर्ज करायी जा चुकी है. संलिप्त अमीन के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई अंतिम चरण में है.
प्रशांत कुमार, उपायुक्त.
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प्रभात खबर को सूचना मिली है कि झरिया पुनर्वास समेत जिले में प्रस्तावित कई कार्यो के लिए भूमि अधिग्रहण के भुगतान में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है. गड़बड़ी के संबंध में आपके पास भी कोई सूचना हो, तो कृपया प्रमाण के साथ हमें लिखें. हम प्राथमिकता के साथ प्रकाशित करेंगे.
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