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समय की मांग है उद्योग आधारित शिक्षा

धनबाद: एकल विद्यालय के बाल शिक्षा के प्रमुख केएन राघवन ने कहा है कि वर्तमान में देश की शिक्षा पद्धति उद्योग आधारित होनी चाहिए. स्किल्ड डेवलपमेंट समय की मांग है. हमारी शिक्षा नीति सबके लिये समान होनी चाहिए. यह विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के बीच शिक्षा की ज्योति जलाकर उन्हें स्वावलंबी बना रहा है. […]

धनबाद: एकल विद्यालय के बाल शिक्षा के प्रमुख केएन राघवन ने कहा है कि वर्तमान में देश की शिक्षा पद्धति उद्योग आधारित होनी चाहिए. स्किल्ड डेवलपमेंट समय की मांग है. हमारी शिक्षा नीति सबके लिये समान होनी चाहिए. यह विद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों के बीच शिक्षा की ज्योति जलाकर उन्हें स्वावलंबी बना रहा है.

25 वर्षो के इतिहास में इस विद्यालय से पढ़े बच्चे किस प्रकार समाज को राह दिखा रहे हैं, यह एकल संगम के बाल शिक्षा परिणाम प्रसंग में प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया . राघवन ने बताया कि हमारा उद्देश्य खर्च नहीं, श्रम आनंद विद्यालय के माध्यम से गांव से पलायन रोकना है. मौके पर देश के कोने-कोने से पहुंचे एकल विद्यालय से पढ़कर उपलब्धि अर्जित करने वालों ने अपनी स्थिति को सामने रखा. एकल विद्यालय के माध्यम से पढ़ कर बच्चे कैसे अपना भाग्य खुद तैयार कर रहे हैं, यह प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया गया.

एकल विद्यालय से निकले छात्र समाज को दे रहे दिशा : बिहार के चंपारण से आये नीरज सिंह ने बताया कि 2004 में किस प्रकार एकल विद्यालय में पढ़ाई कर आचार्य से भाग्य युवा प्रमुख तक का सफर पूरा किया. पश्चिम बंगाल से आयी सुषमा कर्मकार ने बताया कि 2001 में एकल विद्यालय में पढ़ाई करके अब खुद पढ़ा रही है. ओडिशा के डुंगरी से आये जयदेव बेढ़िया ने एकल विद्यालय से पढ़ कर मूल्यांकन प्रमुख का सफर कैसे तय किया, इसके बारे में बताया. इसके अलावा सुरेंद्र कुमार (छत्तीसगढ़), चेतन्य भोई अंचल बलेरी (ओडिशा),टिकेश्वर मांझी (ओडिशा), रितेंद्र नाथ ( पश्चिम बंगाल), महेंद्र नाथ (मधुबन गिरिडीह), पुरूलिया से निर्मल महतो, राजस्थान के भरतपुर से आयी राजेश कुमारी , मालदा (पश्चिम बंगाल) से आये कन्हाई पांडेय, डिब्रूगढ़ (असम) से रमेश लिंबू, सुनील टिंग (गोहाटी), डिब्रूगढ़ के अजय हांसदा , विजया कुमारी (केरला)ने अपना सफरनामा बताया. इनमें से विजया कुमारी सहित कई ऐसे लोग भी थे जिन्हें हिंदी बोलनी नहीं आती तथा इससे पहले कभी मंच पर नहीं बोला. उन्होंने अपनी भाषा में हिंदी का उच्चारण तैयार कर हिंदी में अपनी कहानी बतायी.

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