मोरचा के एके झा, ओपी लाल (इंटक), बिंदेश्वरी प्रसाद (भामसं), एसके बक्शी(सीटू), नीरज सिंह (एचएमएस) ने गुरुवार को बीएमएस कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि अभी-अभी भारत सरकार ने कोयला उद्योग की हड़ताल को देखा है.
परिणामस्वरूप अध्यादेश की कुछ आपत्तिजनक धाराओं एवं अतिरिक्त विनिवेश के संबंध में भारत सरकार के नुमाइंदे एवं श्रम संगठन के प्रतिनिधियों की समिति बनाने का निर्णय हुआ. परंतु यह दुखद है कि भारत सरकार द्वारा कमेटी निर्माण के पूर्व ही 30 जनवरी को अतिरिक्त 10 फीसदी शेयर बेचने की घोषणा कर दी गयी. सरकार के इस निर्णय से समस्त कामगार जगह आहत हैं. मोदी सरकार हड़ताल पर चिंता व्यक्त करते हुए मजदूर संगठनों के साथ वार्ता करती है, वहीं दूसरी ओर समझौता के विरुद्ध कार्य कर पुन: मजदूर क्षेत्र को आंदोलित होने के लिए बाध्य करती है. सरकार के इस निर्णय के विरोध में वे लोग सड़क से संसद तक जायेंगे.