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सेंट्रल हॉस्पिटल में बाहरी मरीजों पर रोक जारी

धनबाद: सेंट्रल अस्पताल में दूसरे दिन रविवार को भी बाहर के मरीजों की भरती बंद रही. शुक्रवार को बाआइटी छात्र की मौत के बाद भारी हंगामा और तोड़फोड़ से क्षुब्ध प्रबंधन ने गैर बीसीसीएलकर्मियों का इलाज बंद करने का फैसला किया था. अस्पताल प्रबंधन के आदेश पर बीसीसीएल के सुरक्षा गार्डो ने मुख्य द्वार पर […]

धनबाद: सेंट्रल अस्पताल में दूसरे दिन रविवार को भी बाहर के मरीजों की भरती बंद रही. शुक्रवार को बाआइटी छात्र की मौत के बाद भारी हंगामा और तोड़फोड़ से क्षुब्ध प्रबंधन ने गैर बीसीसीएलकर्मियों का इलाज बंद करने का फैसला किया था. अस्पताल प्रबंधन के आदेश पर बीसीसीएल के सुरक्षा गार्डो ने मुख्य द्वार पर रस्सा लगा कर घेराबंदी कर दी है.

परिसर में केवल चिकित्सक, बीसीसीएल कर्मचारी या अस्पताल कर्मचारी को ही इंट्री दी जा रही है. बाहरी लोगों के वाहनों को भी अंदर आने नहीं दिया जा रहा है. रविवार की सुबह तीन गैर-बीसीसीएल कर्मचारियों को यह कह कर गार्डो ने वापस कर दिया कि पहले सरकारी अस्पताल या पीएमसीएच से रेफर कागज लेकर आओ, तभी यहां इलाज किया जायेगा. हालांकि अस्पताल प्रबंधन के इस फैसले का व्यापक पैमाने पर विरोध हो रहा है. रविवार को प्रबंधन की तरफ से इस संबंध में किसी तरह की प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है.

अस्पताल की लापरवाही से ही गयी मेरे बेटे की जान : सुंदर यादव

बीस सूत्री के पूर्व उपाध्यक्ष व बेकारबांध निवासी सुंदर यादव ने बाहरी मरीजों के इलाज पर नो इंट्री लगाने का कड़ा विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यहां के डॉक्टर की लापरवाही से मेरे बेटे जान गयी थी. बेटे के सिर में चोट लगी थी. सेंट्रल अस्पताल के चिकित्सक ने अस्पताल में नहीं देख कर, मातृ सदन झरिया में प्राइवेट में देखा था. समय पर इलाज नहीं होने के कारण बाद में बेटे की मौत हो गयी थी. यहां के डॉक्टर अस्पताल में कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते. यहां के डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं. बीआइटी के छात्र को समय पर खून नहीं चढ़ा. ऊपर से चिकित्सक लापरवाही करते रहे. यदि गैर- बीसीसीएल कर्मचारी का इलाज नहीं होगा, तो बीसीसीएल के अधिकारी को भी अपने बीसीसीएल के रोड में चलना होगा. पीडब्ल्यूडी व एनएच के रोड पर नहीं चलें.

मरीज की तो जान ही चली जायेगी : सिंह

भाजयुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि सेंट्रल अस्पताल के निर्णय से तो मरीजों की जान चली जायेगी. पीएमसीएच की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. सेंट्रल अस्पताल में जान बचाने के लिए लोग आते हैं. भरती मरीजों को भी बाहर निकालना दुर्भाग्यपूर्ण है. धनबाद के जनप्रतिनिधि इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. जनप्रतिनिधियों को केवल चुनाव जीतने की चिंता होती है. इसके बाद जनता याद नहीं आती है. मानवता के नाते अपने फैसले पर फिर से विचार करना चाहिए.

जबरन बाहर नहीं किया गया : सीएमएस

इनडोर में भरती मरीजों के संबंध में सेंट्रल अस्पताल के सीएमएस डॉ जीएस पांडेय ने बताया कि मरीजों को जबरन बाहर करने की बात सही नहीं है. जो छुट्टी के लायक थे, केवल उन्हीं को छोड़ा गया है. प्रबंधन ने किसी के साथ ऐसा नहीं किया है. इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है. उच्च प्रबंधन के आदेश का पालन किया जा रहा है. नये मरीज की सीधी भरती नहीं ली जा रही है.

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