धनबाद: बीसीसीएल की इंटरनल ट्रांसपोर्टिग में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है. बीसीसीएल की ट्रांसपोर्टिग में लगी कंपनियों के ट्रकों में कार व स्कूटर के नंबर नहीं मिले हैं. बीसीसीएल की आंतरिक जांच में यह खुलासा हुआ है. कंपनी के डीटी (ऑपरेशन) डीसी झा ने कोयला भवन में बुधवार को पत्रकारों को यह जानकारी दी. मौके पर पीआरओ आरआर प्रसाद भी मौजूद थे.
डीटी ने बताया कि परिवहन विभाग द्वारा जांच में ट्रकों के नंबर पर कार व स्कूटर के नंबर की बात सामने आयी है वह बीसीसीएल से जुड़ा मामला नहीं है. बीसीसीएल एमपीएल, टाटा, इस्को आदि कंपनियों को कोयला बेचता है. बीसीसीएल के ट्रकों के माध्यम से कोयला संबंधित कंपनी को जाता है. कंपनी की ओर से पास कर ट्रकों का नंबर बीसीसीएल को दिया जाता है. संबंधित ट्रक ही बीसीसीएल से कोयला लेकर उन कंपनियों को पहुंचाती है.
इन ट्रकों को ढुलाई का पैसा भी संबंधित कंपनी ही देती है. ऐसे में बीसीसीएल क्या कर सकता है. मामला संज्ञान में आने के बाद बीसीसीएल प्रबंधन गंभीर है, इस तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिल कर कदम उठाया जायेगा. डीसी से मामले पर विस्तार पूर्वक बातचीत हुई है.
दोनों सरकारी एजेंसी मिलकर काम करने को तैयार है. डीसी की ओर से बीसीसीएल प्रबंधन को इस दिशा में सहयोग का आश्वासन दिया गया है. डीटी ने कहा कि बीसीसीएल प्रबंधन किसी भी स्तर पर अपनी ओर से गड़बड़ी रोकने के लिए तैयार है. इसके लिए परिवहन विभाग के साथ समन्वय बनाया जायेगा. अब बीसीसीएल में भी इंटरनल ट्रांसपोर्टिग में लगे ट्रकों के कागजात की सूक्ष्मता से जांच की जा रही है. परिवहन विभाग से कागजात सत्यापन के बाद ही संबंधित वाहनों को बीसीसीएल की ट्रांसपोर्टिग में लगाया जायेगा. बीसीसीएल के अंदर कहीं आंशिक रुप से कंप्यूटर में नंबर अंकित करने में गड़बड़ी हुई थी जिसे सुधार लिया गया है.
ट्रांसपोर्टरों ने की टैक्स चोरी : बताया जाता है कि कोल परिवहन करने वाली कंपनी ने योजनाबद्ध तरीके से यह गड़बड़ी की है. एक ट्रक का प्रति तीन माह 20 हजार रुपये से ज्यादा टैक्स देना पड़ता है. गलत नंबर ट्रक में लगा कर लाखों रुपये की टैक्स चोरी की गयी है. अगर बीसीसीएल के यहां संबंधित कंपनी का बकाया है तो रकम कटौती पर भी विचार चल रहा है.