संवाददाता, धनबाद भारतीय मजदूर संघ (भामसं) को छोड़ कर बाकी यूनियनें अपनी समस्याओं मे उलझी हैं. कोयला मजदूरों की समस्याओं के बारे में नहीं सोच रही हैं. ये यूनियनें किसी न किसी राजनीतिक दल की पिछलग्गू हैं. अच्छे काम का भी विरोध राजनीतिक कारणों के तहत करती है. इनकी ताकत खत्म हो गई है. मजदूरों का भविष्य अंधकारमय है. पेंशन खतरे में है. श्रमिकों को यूनियनों ने जागरूक करने का काम नहीं किया है. यह कहना है भामसं के फेडरेशन अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रदीप कुमार दत्त का. वे मंगलवार को धकोकसं के कार्यक्रम मे भाग लेने के बाद प्रभात खबर से बात कर रहे थे. श्री दत्त ने कहा हम चाहते है कि कोल इंडिया मे यूनियन का चुनाव बैलेट से हो. ताकि सबको अपनी का ताकत का एहसास हो जाये. कोयला मजदूर यह तय करें कि उसका नेतृत्व कौन करेगा. उन्होंने कहा कि भामसं का राजनीतिक दल से कोई मतलब नहीं है. संघ मोदी सरकार को छह माह का समय देना चाहता है. लेकिन अगर इस बीच सरकार कोई मजदूर विरोधी नीति बनाती है तो हम जोरदार विरोध करंेगे. भामसं आरएसएस निर्मित संगठन है. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया का यह दुर्भाग्य है कि कोई स्थायी चेयरमैन नहीं है. कोल मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव प्रभार मे है. प्रभारी चेयरमैन दिल्ली से कोल इंडिया को चला रहे है. उनके नीचे के अधिकारियों के पास मजदूर हित की किसी नीति की समझ नहीं है. अधिकारी मनमानी कर रहे हैं. मजदूरों का काम नहीं हो रहा है. बातचीत के मौके पर धकोकसं के अध्यक्ष विंदेश्वरी प्रसाद, ललन मिश्रा, एके दुबे उपस्थित थे.
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बैलेट से हो यूनियनों का चुनाव : भामसं
संवाददाता, धनबाद भारतीय मजदूर संघ (भामसं) को छोड़ कर बाकी यूनियनें अपनी समस्याओं मे उलझी हैं. कोयला मजदूरों की समस्याओं के बारे में नहीं सोच रही हैं. ये यूनियनें किसी न किसी राजनीतिक दल की पिछलग्गू हैं. अच्छे काम का भी विरोध राजनीतिक कारणों के तहत करती है. इनकी ताकत खत्म हो गई है. मजदूरों […]
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