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धनबाद : आइएच खान लॉ कॉलेज में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ की होगी पढ़ाई

विवि ने अभी एक वर्ष के लिए दी है अस्थायी संबद्धता सत्र 2019-24 के लिए मिली है मान्यता धनबाद : बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के बोकारो स्थित इमामुल हइ खान लॉ कॉलेज में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ की पढ़ाई शुरू करने के लिए रास्ता साफ हो गया है. बुधवार को कुलपति प्रो अंजनी कुमार […]

विवि ने अभी एक वर्ष के लिए दी है अस्थायी संबद्धता

सत्र 2019-24 के लिए मिली है मान्यता

धनबाद : बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के बोकारो स्थित इमामुल हइ खान लॉ कॉलेज में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ की पढ़ाई शुरू करने के लिए रास्ता साफ हो गया है.

बुधवार को कुलपति प्रो अंजनी कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में इमामुल हई खान लॉ कॉलेज बोकारो में इस कोर्स को शुरू करने के लिए अभी एक सत्र के लिए अस्थायी संबद्धता प्रदान कर दी गयी. यहां अगले सत्र (2019-24) से इसकी पढ़ाई शुरू होगी. बैठक में रजिस्ट्रार कर्नल (डॉ) एमके सिंह, सीसीडीसी डॉ दिलीप गिरि, डीन लॉ विनोद कुमार सिंह, इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ देवेंद्र कुमार, सिंदरी कॉलेज सिंदरी की प्राचार्या डॉ शर्मिला रानी और एसएसएनटी महिला कॉलेज की प्राचार्या डॉ रेणुका ठाकुर शामिल थीं.

बीसीआइ से मिल चुकी है मान्यता : वर्तमान में इमामुल हई खान लॉ कॉलेज बोकारो में तीन वर्षीय बीए एलएलबी कोर्स की पढ़ाई होती है. इसी सत्र से वहां पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ (ऑनर्स) की पढ़ाई शुरू करने के लिए पहले ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता मिल गयी है. हालांकि कॉलेज के कई कार्यकलाप पर सवाल उठाये गये हैं. कॉलेज के पास आधारभूत संरचना की कमी है. साथ ही शिक्षकों को यूजीसी के नियमों के अनुसार वेतनमान नहीं दिया जा रहा है. इसके देखते हुए विवि की संबद्धता समिति ने एक सत्र के लिए ही अभी संबद्धता प्रदान की है.

120 सीटों के लिए मान्यता : इमामुल हइ खान कॉलेज में अभी 120 सीटों के लिए संबद्धता दी गयी है. इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स की नामांकन प्रक्रिया में इंटर (कला, विज्ञान और विज्ञान) के किसी भी संकाय के छात्र भाग ले सकेंगे. कॉलेज में सत्र 2019- 24 से कोर्स शुरू होगी.

धनबाद लॉ कॉलेज अधर में

धनबाद कॉलेज में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ की पढ़ाई शुरू करने प्रस्ताव अभी अधर में है. यह प्रस्ताव अभी बीसीआइ के साथ विवि के पास लंबित है. इसके लिए कॉलेज प्रबंधन ने तत्कालीन विनोबा भावे विश्वविद्यालय के साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया को प्रस्ताव भेजा था. इसके बाद बीसीआइ की टीम ने कॉलेज का निरीक्षण भी किया था, लेकिन बाद में विवि बंट जाने के बाद यह पूरी प्रक्रिया खटाई में पड़ गयी थी. बीसीआइ ने फिर से नये विवि के अनापत्ति प्रमाण पत्र के साथ प्रस्ताव मांगा था. इसे देखते हुए कॉलेज की ओर से विवि को प्रस्ताव भेजा गया है.

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