मोहन गोप, धनबाद
कैंसर रोगों के संबंध में प्रशिक्षण देकर पारा मेडिकल कर्मियों की बहाली तो कर दी, लेकिन कैंसर इंस्टीट्यूट बनाना सरकार भूल गयी. वर्ष 2010 से पीएमसीएच में कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए डेढ़ करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गयी है. धनबाद की 28 लाख आबादी के बावजूद एक भी कैंसर रोग विशेषज्ञ जिले में नहीं हैं.
इस कारण यहां के कैंसर मरीजों को जांच व इलाज के लिए बाहर जाना पड़ता है. धनबाद में माउथ कैंसर, ब्रेस्ट व सर्वाइकिल (गर्भाशय) कैंसर के मरीज सबसे ज्यादा हैं. सुविधा नहीं होने के कारण मरीजों को काफी परेशानी होती है.
प्रदूषण के कारण भी बढ़ रहे कैंसर : डॉ डीपी भदानी
पीएमसीएच के पूर्व सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ डीपी भदानी बताते हैं कि प्रदूषण के कारण भी कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं. प्रदूषण से फेफड़े के कैंसर ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. कोल डस्ट व कोलियरियों में ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा होती हैं. इसके साथ गुटका व तंबाकू के सेवन से मुंह का कैंसर तेजी से बढ़ रहा है. इसमें 25 से 45 वर्ष के लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है. कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है. प्रारंभिक अवस्था में पहचान होने से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.
ब्रेस्ट व सर्वाइकिल कैंसर के प्रति रहें जागरूक : डॉ एसके दास
प्रसिद्ध स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ एसके दास कहते हैं कि ब्रेस्ट व सर्वाइकिल कैंसर के प्रति महिलाओं में जागरूकता की कमी है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार-प्रचार तेज करने की जरूरत हैं. किसी भी तरीके से असामान्य डिस्चार्ज होने पर, पेट के नीचे दर्द होने पर चिकित्सक से जरूर दिखायें. जागरूक नहीं होने के कारण बीमारी एडवांस स्टेज में चली जाती है. इसकी पैप स्मीयर से जांच की जाती है. बायोप्सी जांच के लिए दी जाती है. तब कैंसर कंफर्म किये जाते हैं.
बिना विशेषज्ञ के ही चल रहा कैंसर जागरूकता अभियान
स्वास्थ्य विभाग में एक भी कैंसर रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. लेकिन विभाग कैंसर जागरूकता अभियान व कैंप सभी सीएचसी केंद्रों में लगा रहा है. विभाग के अनुसार मार्च 2018 से लेकर दिसंबर 2018 के बीच 38 मरीजों की पहचान की गयी है. अब इन्हें पीएमसीएच के लिए रेफर किया जा रहा है. लेकिन पीएमसीएच में भी कैंसर रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण मरीजों को कोलकाता, दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जाना पड़ रहा है.
कैंसर विशेषज्ञ नहीं, पड़ी है डेढ़ करोड़ की राशि : पीएमसीएच में फिलहाल एक भी कैंसर रोग विशेषज्ञ नहीं हैं. इस कारण यहां आने वाले कैंसर मरीजों को इलाज के लिए रिम्स या दूसरी जगह रेफर कर दिया जाता है. बता देें कि वर्ष 2010 में सरकार ने यहां कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने के लिए 1.5 करोड़ रुपये स्वीकृत किये थे. इसी वर्ष यहां पर छह कर्मियों की बहाली भी कर दी. लेकिन इंस्टीट्यूट नहीं बन पाया. हालांकि कैंसर की ट्रेनिंग लेकर कर्मी अभी सामान्य मरीजों का बुखार आदि माप रहे हैं.
प्रारंभिक अवस्था में इलाज हो तो ठीक हो सकता है रोग
धनबाद में कैंसर की पहचान कर रहे चिकित्सकों की मानें तो माउथ कैंसर, ब्रेस्ट व सर्वाइकिल कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज हैं. सभी कैंसर के मरीजों में अकेले केवल माउथ कैंसर के 85 प्रतिशत मरीज हैं. वहीं लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं ब्रेस्ट व सर्वाइकिल कैंसर से ग्रसित हैं. चिकित्सकों की मानें तो प्रारंभिक अवस्था में जांच होने के बाद इसके ठीक होने की संभावना काफी हो जाती है. इसकी जांच भी काफी सस्ती होती है.