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धनबाद : त्रिवेणी इंजीनियरिंग को 105 करोड़ का ठेका देने पर उठे सवाल
मनोहर कुमार, धनबाद : झरिया समेत धनबाद कोयलांचल के भू-धंसान और अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों का सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास केंद्र व राज्य सरकारों की प्राथमिकता है. पुनर्वास को लेकर बेलगड़िया में चार मंजिला आवास निर्माण का कार्य एक ऐसी कंपनी को दिया गया है, जो अर्हता नहीं रखती है. 105 करोड़ […]
मनोहर कुमार, धनबाद : झरिया समेत धनबाद कोयलांचल के भू-धंसान और अग्नि प्रभावित क्षेत्रों में रह रहे लोगों का सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास केंद्र व राज्य सरकारों की प्राथमिकता है. पुनर्वास को लेकर बेलगड़िया में चार मंजिला आवास निर्माण का कार्य एक ऐसी कंपनी को दिया गया है, जो अर्हता नहीं रखती है. 105 करोड़ रुपये के आवास निर्माण का ठेका मेसर्स त्रिवेणी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित करने पर सवाल उठने लगे हैं.
क्या है मामला : बताते हैं कि भू-धंसान व अग्नि प्रभावित क्षेत्रों के विस्थापितों को बसाने के लिए बेलगड़िया मौजा में 2000 क्वार्टर (जी+3) निर्माण के लिए निविदा संख्या जेआरडीए/वीए/आइएफबी-04/2018-19, दिनांक 12.09.2018 के तहत जेआरडीए द्वारा 105 करोड़ रुपये की निविदा निकाली गयी थी. कुल छह संवेदकों ने निविदा डाली. इसमें इपीआइएट (भारत सरकार की अंडर टेकिंग कंपनी), जेके इंजीनियरिंग (निजी कंपनी), एनपीसीसी (भारत सरकार की अंडर टेकिंग कंपनी), त्रिवेणी इंजीनियरिंग (निजी कंपनी), मोंटी कारलो (निजी कंपनी), कमला आदित्या कंस्ट्रक्शन आदि शामिल थीं.
नियम-शर्तों के मुताबिक नहीं थे निविदा प्रपत्र
बताते हैं कि त्रिवेणी इंजीनियरिंग द्वारा जमा किये गये निविदा प्रपत्र व कागजात निविदा के नियम और शर्तों के पूरा नहीं कर पा रहे थे. नियम के मुताबिक कंपनी ने अनुभव प्रमाण पत्र जमा नहीं किया था. कंपनी ने प्लमविंग व सेनेटरी का निबंधन प्रमाण पत्र भी जमा नहीं किया था. कई कमियों के बावजूद त्रिवेणी इंजीनियरिंग का बिड प्राइस 24 दिसंबर को खोला गया और अंतत: बिडिंग में सबसे कम घोषित कर एल-वन कर दिया गया.
दूसरे के नाम पर बैंक गारंटी
निविदा में भाग लेने के लिए त्रिवेणी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा जमा किया गया शपथ पत्र व बैंक गारंटी सुभाष सिंह चौधरी के नाम से जारी किये गये स्टांप पेपर पर बना हुआ है. निविदा के नियम-शर्त के मुताबिक शपथ पत्र व बैंक गारंटी त्रिवेणी इंजीनियरिंग का ही होना चाहिए था.
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