धनबाद: पीएमसीएच में तमाम विभागों की तुलना में शिशु रोग विभाग की स्थिति ज्यादा खराब है. कहने को तो विभाग के पास दो यूनिट में कुल 48 बेड हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यहां बीस बेड से अधिक कभी मरीज नहीं भरे.
विभाग के पास मात्र दो शिक्षक एक मेडिकल ऑफिसर व एक सीनियर रेजिडेंट हैं. इन दोनों की बदौलत विभागीय पठन-पाठन हो पा रहा है. इतना ही नहीं कर्मचारी के नाम पर विभाग के पास मात्र एक लैब टेक्निशियन है.
कभी चिकित्सक, कभी कर्मी गायब : शिशु रोग विभाग में आने वाले मरीज चिकित्सकों के नहीं आने के आरोप लगाते रहते हैं. हाल ही में झरिया नगीना बाजार से आये एक व्यक्ति के पंद्रह दिन के बच्चे की मौत हो गयी थी. परिजनों का आरोप था कि चिकित्सक आये ही नहीं. इधर, कर्मचारी व नर्स भी कभी-कभी नहीं मिलती है. इस कारण आये दिन यहां हो-हंगामा होता रहता है.
तीन वर्षो में कितने बच्चों की जांच : शिशु रोग विभाग में उदासीनता किस कदर हावी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ओपीडी में जितने मरीज आते हैं, उसके कुछ प्रतिशत मरीज ही इंडोर में भरती किये जाते हैं.