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सद्भाव की बगिया लगा रहे भिखराजपुर के मुस्लिम

बलियापुर की अल्पसंख्यक बस्ती में चार दशकों से फूलों की खेती रामनवमी व नवरात्र में मंदिरों को सजाते हैं मुफ्त में , पेशा बदलने का दबाव भी पड़ता रहा है बलियापुर. देश के अलग-अलग कोनों से धर्मनिरपेक्षता को लहूलुहान करनेवाली सांप्रदायिक वारदात की खबरों के बीच सुकून देनेवाली कुछ खबरें प्रेम और शांति की बयार […]

बलियापुर की अल्पसंख्यक बस्ती में चार दशकों से फूलों की खेती
रामनवमी व नवरात्र में मंदिरों को सजाते हैं मुफ्त में , पेशा बदलने का दबाव भी पड़ता रहा है
बलियापुर. देश के अलग-अलग कोनों से धर्मनिरपेक्षता को लहूलुहान करनेवाली सांप्रदायिक वारदात की खबरों के बीच सुकून देनेवाली कुछ खबरें प्रेम और शांति की बयार की तरह आ रही हैं. जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर बलियापुर प्रखंड के भिखराजपुर गांव के करीब चालीस मुस्लिम परिवार चार दशक से आसपास के मंदिरों के लिए फूल उगाते आ रहे हैं. फूल उगाने के साथ ये परिवार आसपास के मंदिरों के लिए माला भी पिरोते हैं.
कभी नहीं चूकते फूल भेजने से : भिखराजपुर के किसान शेख शमसुद्दीन ने बताया कि अपनी आजीविका के लिए किसान फूलों की खेती पर निर्भर हैं. उन्होंने बताया, ‘‘ हम झरिया शहर में एक व्यापारी को फूल और माला भेजते हैं और फिर वह जरूरत के हिसाब से विभिन्न मंदिरों के एजेंटों को इन्हें बेच देते हैं.”
उन्होंने बताया कि एक माला पांच रु में बेचते हैं. रामनवमी और दुर्गा पूजा जैसे अवसरों पर किसान अक्सर मुफ्त में मंदिर सजाने की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर उठाते हैं. झरिया में एक स्थानीय काली मंदिर के पुजारी दयाशंकर दुबे ने बताया कि भिखराजपुर में किसान त्योहारों के दौरान कभी भी फूल भेजने से नहीं चूकते हैं. उन्होंने बताया, ‘‘मंदिर समिति उनके योगदान की, अलग- अलग तरीकों से भरपाई करने की कोशिश करती है.”
पेशा से ज्यादा भावनात्मक जुड़ाव : मंदिरों में फूल भेजने के काम में सांप्रदायिक तनाव कभी भी आड़े नहीं आया. एक अन्य किसान मोहम्मद सैफी ने बताया, ‘‘ यह हमारी आजीविका का सवाल है… कोई भी सांप्रदायिक तनाव हमें पिछले40 सालों से फूल उगाने और बेचने से नहीं रोक पाया है.” ऐसे भी मौके आये जब किसानों पर पेशा बदलने का गहरा दबाव रहा. एक ग्रामीण अनवर अली ने बताया ‘‘दबाव तो कई ओर से रहा कि फूल उगाने की बजाय सब्जियां और नगदी फसलों की ओर ध्यान दें तो आर्थिक लाभ अधिक होगा. लेकिन गांव वाले फूलों के कारोबार से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं.”

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