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वक्त ने बदली करवट: आरएसपी कॉलेज अब झरिया के इतिहास के पन्नों पर

झरिया : झरिया स्थित ऐतिहासिक आरएसपी कॉलेज गुरुवार से इतिहास के पन्नों का हिस्सा बन जायेगा. विभावि ने भूमिगत आग के खतरे को देखते हुए कॉलेज को बेलगड़िया स्थित प्रस्तावित हाई स्कूल की बिल्डिंग में शिफ्ट करने का नोटिस जारी कर दिया है. बुधवार की शाम कॉलेज प्रबंधन को शिफ्टिंग का पत्र मिला. इससे पूर्व […]

झरिया : झरिया स्थित ऐतिहासिक आरएसपी कॉलेज गुरुवार से इतिहास के पन्नों का हिस्सा बन जायेगा. विभावि ने भूमिगत आग के खतरे को देखते हुए कॉलेज को बेलगड़िया स्थित प्रस्तावित हाई स्कूल की बिल्डिंग में शिफ्ट करने का नोटिस जारी कर दिया है. बुधवार की शाम कॉलेज प्रबंधन को शिफ्टिंग का पत्र मिला. इससे पूर्व पूरे दिन कर्मियों ने अन्य दिनों की तरह अपने कामकाज किये. किसी को कॉलेज में तालाबंदी की भनक नहीं थी. दूसरी जगह शिफ्टिंग से आठ हजार छात्र-छात्राओं की चिंता बढ़ गयी है.

वर्ष 1949 में झरिया में राजा शिव प्रसाद कॉलेज की स्थापना हुई थी. करीब सात एकड़ जमीन देकर झरिया के तत्कालीन राजा काली प्रसाद सिंह ने अपने पिता राजा शिव प्रसाद की याद में इसकी नींव रखी थी. आज यहां सात हजार छात्र-छात्राएं इंटर से लेकर पीजी और बीएड पाठ्यक्रमों में पढ़ाई करते हैं.

विभावि का पहला नैक एक्रीडिटेड कॉलेज
तब देश को आजाद हुए दो वर्ष बीते थे. वह साल 1949 था. झरिया-धनबाद कोयलांचल शैक्षणिक रूप से काफी पिछड़े इलाके में शामिल था. यहां उच्च शिक्षा के लिए कोई बड़ा संस्थान नहीं था. ऐसे समय में राजा काली प्रसाद सिंह ने वर्ष 1949 में आरएसपी की नींव रखी. वर्ष 1951 में पटना यूनिवर्सिटी से काॅलेज को स्वीकृति मिली. 1952 में बिहार यूनिवर्सिटी ने स्थायी प्रस्वीकृति प्रदान की. वर्ष 1960 में रांची यूनिवर्सिटी तथा 1992 में विनोबा भावे विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद यह इनका अंग बन गया. आरएसपी कॉलेज धनबाद तथा आसपास के जिलों के सबसे पुराने कॉलेजों में एक है. वर्ष 2006 में विश्वविद्यालय का पहला नैक एक्रीडिटेड कॉलेज होने का गौरव प्राप्त हुआ.

जब बीसीसीएल ने किया शिफ्टिंग का आग्रह
वह साल 2005 था, जब बीसीसीएल ने आरएसपी कॉलेज को भूमिगत आग से खतरा बताते हुए दूसरी जगह शिफ्ट करने का आग्रह किया था. देश की प्रमुख कोयला उत्पादक कंपनियों में एक बीसीसीएल ने कॉलेज से चार सौ मीटर की दूरी पर आग होने की बात कही थी. वर्ष 2011 में कॉलेज की चहारदीवारी तक आग पहुंचने की बात सामने आयी. बीसीसीएल ने सिंफर के सहयोग से आग पर काबू पाने के लिए नाइट्रोजन फोमिंग का सहारा लिया. ट्रेंच कटिंग भी की गयी. बावजूद कोई लाभ नहीं मिला. वर्तमान में कॉलेज को आग से गंभीर खतरे की बात कही जा रही है. वहीं छात्रों का कहना है कि कॉलेज शिफ्ट किये जाने से उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी. छात्र संगठन, राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन व स्थानीय लोग पठन-पाठन के अलावा आरएसपी की ऐतिहासिकता नष्ट होने की बात कह रहे हैं. लोगों का दावा है कि सरकार, प्रशासन व बीसीसीएल ने कोयला निकालने के लिए सारा प्रपंच तैयार किया है. ये अपने मिशन में कामयाब भी रहे.

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