यूटेरस को कैंसर जांच के लिए भेजा गया, रिपोर्ट में कहीं से भी कैंसर होने की पुष्टि नहीं हुई. सरिता को पता चला कि उन्हें कैंसर नहीं था, संदेह पर ही चिकित्सक ने निकाल दिया था. दरअसल, इन दिनों कोलयांचल में चिकित्सकों का एक तबका यूटेरस निकालने में लगा है. एक मरीज से 25 से 45 हजार तक चार्ज लिया जाता है. जबकि पूरे मामले पर स्वास्थ्य विभाग उदासीन बना हुआ है.
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एमसीआइ के निर्देशों की अनदेखी कर निकाले जा रहे यूटेरस
धनबाद : मटकुरिया की रहने वाली 28 वर्षीय सरिता देवी (बदला हुआ नाम) दोबारा मां नहीं बन सकती है. कुछ माह पूर्व सरिता के पेट में असहनीय पीड़ा के बाद एक जेनरल सर्जन के पास ले लाया गया. चिकित्सक ने यूटेरस में कैंसर की संभावना बताकर जल्द ऑपरेशन करने की सलाह दे दी. सरिता व […]
धनबाद : मटकुरिया की रहने वाली 28 वर्षीय सरिता देवी (बदला हुआ नाम) दोबारा मां नहीं बन सकती है. कुछ माह पूर्व सरिता के पेट में असहनीय पीड़ा के बाद एक जेनरल सर्जन के पास ले लाया गया. चिकित्सक ने यूटेरस में कैंसर की संभावना बताकर जल्द ऑपरेशन करने की सलाह दे दी. सरिता व उसके परिजन भयभीत हो गये. किसी तरह रकम जुटा कर ऑपरेशन करा लिया.
40 वर्ष के अंदर की महिला का यूटेरस निकालना गलत: बेवजह यूटरेस निकालने को लेकर देश भर में एमसीआइ ने गाइडलाइन तय कर रखी है. बिना कैंसर की पहचान, संभावना या पुष्टि के 40 वर्ष के अंदर की महिला का यूटेरस निकालना गलत है. बच्चेदानी में कैंसर, गांठ या फिर कोई अन्य तकलीफ होने पर ही ऑपरेशन किया जा सकता है. यूटेरस का ऑपरेशन भी जेनरल सर्जन नहीं कर सकते है, यह काम केवल गायनोक्लॉजिस्ट ही कर सकते हैं.
धनबाद में हर दिन निकाले जा रहे 50 से 55 यूटेरस
कोयलांचल में अमूमन एक दिन में 50-55 महिलाअों के यूटेरस निकाले जा रहे हैं. नर्सिंग होम के चिकित्सक इसके लिए गांव-देहात को ज्यादा फोकस करते हैं. यहां विभिन्न प्रकार के कैंप लगातर केस को अपने-अपने नर्सिंग होम लाते हैं. मरीजों को डरा कर यूटेरस निकाल देते हैं. इसमें अधिकांश महिलाओं की उम्र 40 के अंदर ही होती है. अधिकांश मामलों में देखा गया है, जांच में कैंसर की पुष्टि भी नहीं होती है.
पीएमसीएच में 3 माह में मात्र 21 ऑपरेशन
यूटेरस को लेकर एक ओर जहां नर्सिंग होम में हर दिन काफी संख्या में ऑपरेशन करके यूटेरस निकाले जा रहे हैं, वहीं जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच की बात करें तो यहां तीन माह (मई, जून व जुलाई) में मात्र 21 ऑपरेशन ही कराये जा सके हैं. कारण यह कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते हैं.
जेनरल सर्जन भी निकाल रहे यूटेरस
नियमानुसार यूटेरस स्त्री रोग व प्रसूति विशेषज्ञ ही आॅपरेशन कर निकाल सकता है. लेकिन इन दिनों धनबाद में कुछ सर्जन इसमें लगे हुए हैं. यही कारण है कि गायनोक्लोजिस्ट ऐसे सर्जन से खफा हैं. अंदर ही अंदर विरोध हो रहा है.
यूरेटस को लेकर एमसीआइ का दिशा निर्देश व गाइडलाइन तय है. संबंधित मामले की जानकारी लेती हूं. इसके बाद ही कुछ ज्यादा बता सकती हूं.
डॉ आशा एक्का, सीएस, धनबाद
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