बीसीओ ने रोक लगाकर तीन माह में चुनाव कराने का आदेश दिया. इसके लिए पर्यवेक्षक नियुक्त कर एडहक कमेटी गठन कर चुनाव कराने को कहा गया. शिकायतकर्ता रामचंद्र पासवान ने कहा कि कोर्ट ने चुनाव को गलत करार दिया है. यह पहली बार हुआ कि चुनाव दिसंबर में और मतगणना मई में की गयी. इसी से धांधली का पता चलता है. इस को-ऑपरेटिव में मजदूरों से लेकर अधिकारी तक इसके सदस्य हैं. को-ऑपरेटिव का प्रति वर्ष 70 से 80 करोड़ की कार्यशील पूंजी है. वहीं सचिव उमाकांत शाही ने कहा कि चुनाव में धांधली की शिकायत की गयी थी. जल्द चुनाव करा लेना चाहिए. इस संबंध में राय जानने के लिए धनबाद सहकारिता पदाधिकारी से संपर्क नहीं हो सका.
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जेलगोरा को-ऑपरेटिव सोसाइटी भंग की गयी
भौंरा. धनबाद जिला सहकारिता पदाधिकारी ने बीसीसीएल इम्पलाइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड जेलगोरा को भंग कर दिया गया है. भंग करने का आदेश सात जुलाई को ही आया है. इससे को-ऑपरेटिव सदस्यों का लेनदेन ठप हो गया है. इसके लगभग साढ़े नौ हजार सदस्यों की परेशानी बढ़ गयी है. जुलाई से लेकर अभी तक सेवानिवृत्त […]
भौंरा. धनबाद जिला सहकारिता पदाधिकारी ने बीसीसीएल इम्पलाइज को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लिमिटेड जेलगोरा को भंग कर दिया गया है. भंग करने का आदेश सात जुलाई को ही आया है. इससे को-ऑपरेटिव सदस्यों का लेनदेन ठप हो गया है. इसके लगभग साढ़े नौ हजार सदस्यों की परेशानी बढ़ गयी है. जुलाई से लेकर अभी तक सेवानिवृत्त होने वाले कर्मी व अधिकारियों का लेनदेन व नो ड्यूज क्लियर नहीं हो सका है. उनके भुगतान पर रोक लगी है. झारखंड को-ऑपरेटिव सोसाइटी रांची ने सदस्य रामचंद्र पासवान की शिकायत पर यह कार्रवाई की है.
क्यों ऐसा हुआ : को-ऑपरेटिव सोसाइटी का चुनाव दिसंबर 2014 में हुआ था. उसी दिन वोट की गिनती में अध्यक्ष पद को लेकर विवाद हुआ था. पर्यवेक्षक बीच में ही गिनती छोड़ कर चले गये थे. उसके बाद रामचंद्र पासवान ने रांची निबंधन झारखंड को-ऑपरेटिव सोसाइटी से इसकी शिकायत की थी. उसके बाद से रांची रजिस्ट्रार ने किसी तरह के लेनदेन पर दिसंबर 2014 से मई 2015 तक रोक लगा दी थी. मई 2015 के बाद से को-ऑपरेटिव सोसाइटी का लेनदेन चालू हुआ.
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