डॉ राय ने शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, गोविंदपुर में एक शिक्षिका के रूप में कॅरियर की शुरुआत की. फिर कॉलेज की प्राचार्या बनीं. इस दौरान लायंस क्लब के जरिये सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहीं.
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बहु आयामी व्यक्तित्व की धनी थीं डॉ अपर्णा
धनबाद. गोविंदपुर को जिन बड़ी हस्तियों ने राष्ट्रीय पहचान दिलायी, उनमें डॉ अपर्णा राय भी एक थीं. गोविंदपुर जैसी छोटी सी जगह से एक महिला तमाम प्रतिगामी शक्तियों को लांघते हुए सफलता आैर सम्मान के उस मुकाम तक पहुंच जाती है, जो किसी का भी सपना हो सकता है. डॉ राय एक अच्छी गृहिणी, अच्छी […]
धनबाद. गोविंदपुर को जिन बड़ी हस्तियों ने राष्ट्रीय पहचान दिलायी, उनमें डॉ अपर्णा राय भी एक थीं. गोविंदपुर जैसी छोटी सी जगह से एक महिला तमाम प्रतिगामी शक्तियों को लांघते हुए सफलता आैर सम्मान के उस मुकाम तक पहुंच जाती है, जो किसी का भी सपना हो सकता है. डॉ राय एक अच्छी गृहिणी, अच्छी शिक्षिका, लेखिका, अच्छी वक्ता ही नहीं, सही अर्थों में एक अच्छी इनसान भी थीं.
कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा : डॉ राय ने 1982 में लायंस क्लब की चार्टर अध्यक्षा बनीं, उसके बाद फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट, मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट, लायंस क्लब की सेक्रेटरी, रीजन चेयरमैन, लायंस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में किये गये सेवा कार्य को भुलाया नहीं जा सकता. साथ ही वे बिहार शिक्षा सेवा धनबाद की अध्यक्ष, अल इकरा शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में इग्नूू की बीएड को-ऑर्डिनेटर, बिहार राज्य महिला एवं बाल कल्याण परिषद की कार्यकारिणी सदस्य भी रहीं. उन्होंने कई देशों का भ्रमण भी किया. उनकी लिखीं पुस्तकें महाविद्यालय स्तर पर पढ़ाई जाती हैं. उन्होंने प्रांतीय एवं राष्ट्रीय स्तर के सैकड़ों सेमिनारों में भाग लिया. उन्हें साहित्य से भी गहरा लगाव था. पांच जुलाई 2007 को उनका निधन हो गया. डॉ राय के पति डॉ शिरीष सुमन अपने पुत्र व पुत्री के साथ फिलहाल दिल्ली में रह रहे हैं.
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