Deoghar News: जीएन सिंह उच्च विद्यालय कुकराहा में छात्र-छात्राओं की संख्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने आदर्श विद्यालय का दर्जा दे रखा है, लेकिन कमरों की कमी के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई में परेशानी होती है. गौरतलब है कि देवघर जिले में मात्र दो ऐसे विद्यालय है, जहां कक्षा एक से 12 वीं तक पढ़ाई होती है, पहला है तपोवन का स्कूल व दूसरा है कुकराहा स्थित स्कूल. वर्ष 1956 में विद्यालय की स्थापना नलिनी प्रसाद सिंह ने अपने पिता गिरजा नंद सिंह के नाम पर किया. नलिनी प्रसाद सिंह वर्ष 1967 से 72 तक इस क्षेत्र के विधायक भी रहे थे. उस वक्त उन्होंने यहां चार पांच कमरों का निर्माण कराया. बहरहाल विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक लगभग तीन छात्र, कक्षा नौ में 360, कक्षा 10 में 320, कक्षा 11 में 264 व कक्षा 12 में 203 मिलाकर कुल 1400 छात्र-छात्राएं यहां शिक्षा ग्रहण करते हैं. आदर्श विद्यालय को देखते हुए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद,रांची (आरएमएसए) ने यहां 80 लाख 63 हजार की लागत से 13 अतिरिक्त कक्षाओं के निर्माण कार्य की स्वीकृति दी.
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स्कूल के कागजात में पर्चा में दर्ज है चार एकड़ 47 डिसमिल जमीन
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स्कूल के फंड में पैसा आ गया था
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परिवार से जुड़े दो तीन रिश्तेदारों के विरोध में नहीं बन पाया 13 कमरे
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कई बार बैठक भी हुई
निर्माण कार्य को लेकर विधायक रणधीर सिंह ने 23 मई 2020 को शिलान्यास किया था. लेकिन शिलान्यास होने के बाद जमीन दान करने वाले परिवारों ने विद्यालय की जमीन अपना होने का दावा करते हुए निर्माण कार्य शुरू ही नहीं होने दिया, जबकि विद्यालय के कागजात ओर पर्चा में जीएन सिंह कुकराहा के नाम पर 4.37 एकड़ भूमि विद्यालय के नाम से दर्ज है. बावजूद साढ़े तीन साल बीतने के बाद भी किसी ने इस दिशा में पहल नहीं की, जिस वजह से निर्माण कार्य मद में आवंटित राशि 80 लाख विभाग को वापस हो गयी.
विद्यालय में शिक्षकों की भी कमी है. वर्ग एक से आठ तक स्वीकृत छह पदों में से एक सरकारी व तीन पारा शिक्षक कार्यरत है. उच्च विद्यालय में स्वीकृत दस में से दस पदों पर शिक्षक कार्यरत है, जबकि कक्षा 10 व 11वीं में स्वीकृत 11 पदों में 10 पद रिक्त है. वहीं क्षेत्र के पुराने लोगों का कहना है कि क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भूतपूर्व विधायक नलिनी सिंह ने, जो किया उसके बराबर आजतक किसी ने कुछ नहीं किया. आज के जनप्रतिनिधि शिलान्यास कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते हैं.
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