इस रिपोर्ट को आधार बना कर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. लेकिन, अब विभाग कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं कर पा रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस अनुसंधान में भी दोषियों को बचाया जा रहा है.
निलंबन एवं स्थानांतरण के बदले दोषी लिपिक को ही नियुक्ति संचिका प्रभारी बना दिया गया है. पूर्व प्रधान सहायक का तबादला डीसी के तल्ख निर्देश पर अन्यत्र कर दिया गया. लेकिन, उनकी संलिप्तता को दरकिनार कर निलंबन से बचाया गया. पूर्व जिला शिक्षा अधीक्षक सहित दो लिपिक निलंबित हो चुके हैं. वहीं नियुक्ति संचिका प्रभारी पर कोई आंच नहीं आना विभागीय कार्यशैली को दर्शाता है.