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पैसे-पैरवी के अभाव में हजारों एकड़ जमीन पर लगा ग्रहण!
कई जमीन के मामले कोर्ट में लंबित झारखंड बनने के बाद से ही भूदान यज्ञ समिति का नहीं हुआ गठन समिति की लाचारी का लाभ उठा रहे हैं भूमि कारोबारी 2005 से ही भंग है समिति झारखंड में भूदान की 14.69 लाख एकड़ जमीन देवघर : झारखंड में विनोवा भावे के भूदान यज्ञ का सपना […]
कई जमीन के मामले कोर्ट में लंबित
झारखंड बनने के बाद से ही भूदान यज्ञ समिति का नहीं हुआ गठन
समिति की लाचारी का लाभ उठा रहे हैं भूमि कारोबारी
2005 से ही भंग है समिति
झारखंड में भूदान की 14.69 लाख एकड़ जमीन
देवघर : झारखंड में विनोवा भावे के भूदान यज्ञ का सपना दम तोड़ रहा है. एक ओर जहां नयी योजनाओं के लिए जमीन की खोज में जिला प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं, वहीं भूदान यज्ञ समिति की जमीन का देखभाल करने वाला कोई नहीं है. समिति के पास न तो फंड है और न ही कर्मी. इस कारण देवघर में भूदान यज्ञ समिति की तकरीबन 44 हजार एकड़ जमीन की सुधि न तो सरकार को है न ही राजनेताओं को. पैरवी के अभाव में समिति की हजारों एकड़ जमीन पर ग्रहण लग गया है.
लाचारी का फायदा उठा रहे भूमि कारोबारी
देवघर भूदान यज्ञ समिति की बात करें कार्यालय सूत्र बताते हैं कि समिति के पास तकरीबन 44000 एकड़ जमीन है. अधिकांश जमीन पर किसी न किसी का अवैध कब्जा है. इससे संबंधित कई मामले कोर्ट में लंबित हैं, जिसकी पैरवी तक के लिए भूदान कार्यालय के पास पैसे नहीं हैं. और तो और 23 माह से भूदान कार्यालय के कर्मचारियों को वेतन/मानदेय नहीं मिला है. इसी लाचारी का फायदा भूमि कारोबारी उठा रहे हैं और पैसे व केस में प्रोपर पैरवी के अभाव में जमीन भूदान यज्ञ समिति के हाथ से खिसकता जा रहा है. कई प्लॉट तो इन लोगों ने तिकड़म व अदालती दावं-पेच खेलकर अपने या अपने संबंधियों के नाम भी करवा लिया है. देवघर भूदान कार्यालय में चार कर्मी हैं, जबकि पूरे झारखंड में 54 कर्मी हैं. सरकार न तो इस कार्यालय के जीर्णोद्धार की ओर ध्यान दे रही है और न ही जमीन को बचाने की कवायद कर रही है.
समिति के पास है 14,69,280 एकड़ जमीन
झारखंड प्रदेश में भूदान यज्ञ समिति के पास तकरीबन 14,69,280 एकड़ जमीन है. इसमें वितरित भूमि 4,97,112 एकड़, अयोग्य व अप्राप्त भूमि 77,1240 एकड़ एवं भूमि वितरण के लिए 2,00,964 एकड़ है जिसका भौतिक सत्यापन कर भू वितरण करना है.
2005 से ही भंग से भूदान यज्ञ समित
पड़ोसी राज्य बिहार में भूदान यज्ञ कमेटी वर्ष 1954 से ही संगठित तरीके से काम कर रही है. जबकि बिहार से अलग हुए झारखंड में कमेटी का गठन वर्ष 2002 में किया गया. इसके तीन वर्ष बाद यह कमेटी वर्ष 2005 में भंग हो गया और इसके बाद से अब तक राज्य सरकार ने झारखंड भूदान यज्ञ के अंतर्गत अध्यक्ष एवं सदस्यों को मनोनित नहीं किया है. इस कारण वर्ष 2010-11 से भूदान यज्ञ समिति को सरकार से मिलने वाला आर्थिक अनुदान बंद है.
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