देवघर: केके बिल्डर्स के अपहृत सात कर्मियों की बरामदगी के लिये बिहार-झारखंड की पुलिस ने दो दिनों से संयुक्त कांबिंग ऑपरेशन तो चला रखी है किंतु दोनों में से किसी प्रांत की पुलिस के पास जंगल का मैप नहीं है. इस वजह से पुलिस के ऑपरेशन में बाधा पहुंची और पुलिस का अभियान ठहर गया. मंगलवार से झारखंड व बिहार की पुलिस ने मिल कर संयुक्त अभियान तो तेज किया था.
देवघर एसपी प्रभात कुमार व जमुई एसपी जितेंद्र राणा के नेतृत्व में काफी संख्या में पुलिस अधिकारी सशस्त्र बलों के साथ चंद्रमंडीह की तरफ से जंगल प्रवेश भी किये किंतु मैपिंग नहीं रहने से बाधा पहुंची. रात भर पुलिस खुद डिफेंसिव मुद्रा में रही. बुधवार दोपहर बाद से तो अभियान को धीमा कर दिया. शाम तक पुलिस के कई अधिकारी वापस मुख्यालय भी लौट आये. हालांकि झारखंड के आइजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा यहीं कैंप कर इस साझा ऑपरेशन की समीक्षा कर रहे हैं.
दूसरे दिन भी संताल प्रक्षेत्र की डीआइजी प्रिया दुबे पहुंची. अब पुलिस असमंजस में है कि अगली क्या रणनीति हो. पुलिस की कार्रवाई अब स्थिर दिख रही है. लगता है कि वे लोग इसी आस में हैं कि नक्सली अगवा कर्मियों को मुक्त कर दे.
पुलिस के सामने चुनौती
पुलिस के सामने यह चुनौती है कि बिना फोरेस्ट मैप के किस रिस्क पर जवानों को आगे बढ़ायें. बाद में कुछ अनहोनी होती है तो वरीय अधिकारी फिर जवाब देने की भी स्थिति में नहीं रहेंगे. अब तक बिहार के जमुई जिले के इलाके से संताल परगना तक दर्जनों बड़ी नक्सली घटनाएं हुई. इन घटनाओं के बाद अंतरप्रांतीय कई बैठकें भी हुई. बावजूद किसी प्रांत की पुलिस ने अब तक फॉरेस्ट मैप तैयार नहीं कराया. फॉरेस्ट मैप नहीं रहने के वजह से पुलिस कांबिंग ऑपरेशन में सिर्फ जंगल छूकर वापस लौट आती है. अंदर जंगल तक पहुंचने में पुलिस को कठिनाई हो रही है. यह अनुमान नहीं मिल पाता है कि जंगल की भौगोलिक स्थिति क्या है. आज तक किसी राज्य की पुलिस ने इस बिंदु पर पहल नहीं किया.
रिहाई की उड़ी अफवाह
इस बीच अचानक दोपहर में करीब दो बजे सभी कर्मियों की रिहाई की भी अफवाह उड़ी. हालांकि इसकी पुष्टि दोनों राज्यों के किसी पुलिस अधिकारी द्वारा नहीं की गयी. यह बात सामने आ रही थी कि नक्सलियों ने अगवा किये गये सभी सात कर्मियों को जमुई जिले के किसी स्टेशन में ट्रेन पर बैठा दिया है. इस आशय की सूचना के बाद कई स्टेशनों में विभिन्न ट्रेनों में चेकिंग भी करायी गयी. हालांकि अगवा कर्मियों के बारे में अब तक कुछ सटीक पता नहीं चल पाया है. सूत्रों के अनुसार अब तक नक्सली लेवी की मांग पर अड़े हैं. अपहृत कर्मियों को उनलोगों ने इस जंगल से खैरा के जंगल में शिफ्ट करा दिया है.